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परमबीर सिंह को मिली गिरफ्तारी से राहत, अकोला में दर्ज FIR को हाईकोर्ट में चुनौती
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा है कि वह पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह को जाति उत्पीड़न से जुड़े मामले में 20 मई 2021 तक गिरफ्तार नहीं करेंगी। हाईकोर्ट में सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही हैं। याचिका में मुख्य रुप से अकोला में तैनात पुलिस निरीक्षक द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को चुनौती दी गई है। गुरुवार को न्यायमूर्ति पी बी वैराले न्यायमूर्ति एनआर बोरकर की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खम्बाटा ने कहा कि सिंह पर इस मामले में गंभीर आरोप है। जिसमें भ्रष्टाचार का भी आरोप शामिल है। लेकिन पहले पुलिस उनकी याचिका पर हलफनामा दायर करेगी। तब तक यानी 20 मई 2021 तक पुलिस सिंह को गिरफ्तार नहीं करेगी।
इससे पहले खंडपीठ ने कहा कि मामले को लेकर जो एफआईआर दर्ज की गई है, वह घटना साल 2015 की है। शिकायतकर्ता को शिकायत दर्ज कराने में पांच साल लग गए। वहीं सिंह की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि मेरे मुवक्किल के खिलाफ गलत इरादे से एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। यह आधारहीन एफआईआर है। इसलिए मेरे मुवक्किल को अंतरिम राहत प्रदान की जाए।
वर्तमान में अकोला में तैनात पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे ने सिंह के खिलाफ जाति उत्पीड़न (एट्रासिटी) की शिकायत दर्ज कराई है। अकोला पुलिस ने इस मामले में जीरो एफआईआर दर्ज की है। इस तरह की एफआईआर कही पर भी दर्ज की जा सकती है। बाद में उसे संबंधित पुलिस स्टेशन को जांच के लिए भेजा जाता है।अकोला में दर्ज की गई एफआईआर को ठाणे पुलिस स्टेशन में भेजा जाएगा। क्योंकि घाडगे ने जिस समय की घटना को लेकर एफआईआर दर्ज कराई है, उस वक्त वे ठाणे पुलिस आयुक्तालय में तैनात थे।
Created On :   13 May 2021 5:49 PM IST