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माता-पिता भले ही संपन्न हों, पर पत्नी को गुजारा भत्ता देने से नहीं कर सकते इनकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। माता-पिता के आर्थिक रूप से संपन्न होने को आधार बनाकर पत्नी को अंतरिम गुजारा भत्ते से वंचित नहीं किया जा सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद से जुड़े एक मामले में यह फैसला सुनाया है। पारिवारिक अदालत ने पत्नी की गुजारा भत्ते की मांग को सही नहीं माना था। लिहाजा उसने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। शनिवार को इस पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति एमएस सोनक ने कहा कि गुजारा भत्ते के अंतरिम आवेदन पर निर्णय लेते समय इस तथ्य का कोई मतलब नहीं है कि पत्नी के माता-पिता संपन्न हैं।
सुनवाई के दौरान पति की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने पारिवारिक अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि मेरे मुवक्किल की पत्नी काफी संपन्न व धनी परिवार से है। इस लिहाज से पारिवारिक न्यायालय ने गुजारा भत्ते की मांग से जुड़े आवेदन को खारिज करके सही किया है। क्योंकि मेरे मुवक्किल की आय सिर्फ 20 हजार रुपए है। वहीं, पत्नी के वकील ने कहा कि मेरी मुवक्किल के पास कोई संपत्ति नहीं है। उसकी आय इतनी नहीं है कि वह ठीक ढंग से अपना जीवनयापन कर सके।
अदालत ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि पति एक पार्टनरशिप फर्म का साझेदार है और उसकी अच्छी-खासी आमदनी है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी को गुजारा भत्ता देना पति की जिम्मेदारी है, वह इस आधार पर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता कि पत्नी के माता-पिता संपन्न होने की वजह से अपनी बेटी की देखरेख कर सकते हैं। कोर्ट ने पति को हर माह 75 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया है। पति पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
Created On :   16 Dec 2018 2:56 PM IST