- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- मुंबई
- /
- ट्रेन के सीजन पास के साथ यात्री के...
ट्रेन के सीजन पास के साथ यात्री के पास वैध पहचानपत्र न होना मुआवजे के दावे को नकारने की वजह नहीं हो सकता
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल को निर्देश दिया है कि वह चलती ट्रेन से गिरने के कारण जख्मी हुए एक 55 वर्षीय शख्स को उचित मुआवजा प्रदान करे। क्योंकि ट्रेन से गिरने के चलते शख्स को कई चोटे आयी थी। न्यायमूर्ति एसके शिंदे ने कहा कि सफर के दौरान 55 वर्षीय शख्स के पास लोकल ट्रेन के सीजन पास के साथ वैध पहचानपत्र नहीं था। सिर्फ यह उसके मुआवजे के दावे को नकारना की वजह नहीं हो सकता है। न्यायमूर्ति शिंदे ने 55 वर्षीय हरीष दामोदर की ओर से दायर की गई गई अपील पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया हैं। इससे पहले रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल ने दामोदर के चार लाख रुपए के मुआवजे के दावे को साल 2009 में खारिज कर दिया था। जिसके खिलाफ दामोदर ने हाईकोर्ट में अपील की थी। दामोदर ने मुलुंड से छत्रपति शिवाजी महरात टर्मिनस(सीएसएमटी) के लिए लोकल ट्रेन पकड़ी थी लेकिन वे दादर स्टेशन के करीब ट्रेन से गिर गए। इस दौरान उन्हें काफी चोटे आयी थी। जिसके लिए उन्हें सर्जरी करानी पड़ी थी। इस घटना के बाद दामोदर ने रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में मुआवजे के लिए आवेदन दायर किया था। लेकिन ट्रिब्यूनल ने यह कह कर दामोदर के आवेदन को खारिज कर दिया था कि जब दामोदर ट्रेन से गिरे तो उनके पास रेलवे पास(सीजन टिकट) तो था लेकिन उनके पास वैध पहचान पत्र नहीं था। ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा था कि ट्रेन से यात्रा करनेवाले व्यक्ति को सीजन टिकट के साथ वैध पहचानपत्र दिखाना भी जरुरी हैं। तभी उसे प्रमाणिक यात्री माना जाएगा। चूंकि दामोदर के पास वैध पहचान पत्र नहीं मिला था इसलिए उनका मुआवजा से जुड़ा दावा स्वीकार करने योग्य नहीं है। किंतु न्यायमूर्ति ने कहा कि यह दावा स्वीकार न करने का वैध आधार नहीं हो सकता है। न्यायमूर्ति ने कहा कि दुर्घटना की स्थिति में यदि चोटिल यात्री सीजन टिकट के साथ वैध पहचानपत्र नहीं दिखाता तो उसका सीजन टीकट अमान्य नहीं हो जाता हैं। न्यायमूर्ति ने कहा कि दामोदर वैध सीजन टीकट से यात्रा कर रहे थे इसलिए उन्हें प्रमाणिक यात्रा माना जाए। जहां तक सीजन टीकट के साथ वैध पहचान पत्र रखने के केंद्र सरकार के निर्देश कि है तो वे सलाह स्वरुप नजर आते है। जिन्हें यात्री पर बाध्यकारी नहीं किया जा सकता हैं। इसलिए ट्रिब्यूनल दामोदर के मुआवजे के दावे पर नए सिरे से विचार करे। और उन्हें कानून के मुताबिक 31 जुलाई 2022 से पहले उचित मुआवजा प्रदान करे।
Created On :   25 May 2022 8:55 PM IST