सड़क पर मरीज - कोर्ट के आदेश के पालन में खाली कराया गया गोहपारू अस्पताल

Patient on the road - Gohaparu hospital evacuated in compliance with court order
सड़क पर मरीज - कोर्ट के आदेश के पालन में खाली कराया गया गोहपारू अस्पताल
सड़क पर मरीज - कोर्ट के आदेश के पालन में खाली कराया गया गोहपारू अस्पताल

डिजिटल डेस्क शहडोल । गोहपारू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गुरुवार को दर्दनाक हालात थे। गर्भवती महिलाएं और कुपोषित बच्चे हॉस्पिटल के बाहर जमीन पर लेटे हुए थे। अन्य वार्डों में भर्ती मरीज भी हॉस्पिटल के बाहर थे और उनके परिजन यहां-वहां भटक रहे थे। जबकि वार्डों में ताला लगा हुआ था। यह सब जिला प्रशासन की लापरवाही और असंवेदनशीलता के कारण हुआ। 
3 सितंबर को कोर्ट के आदेश से इसे खाली कराना था 
दरअसल, गोहपारू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र निजी जमीन पर बना हुआ है। हाईकोर्ट से भी प्रशासन की अपील खारिज हो चुकी है। 3 सितंबर को कोर्ट के आदेश के परिपालन में इसे खाली कराने के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट से प्रशासन को नोटिस जारी हुआ था। इसमें 15 दिन के भीतर हॉस्पिटल खाली कराने के आदेश थे, लेकिन प्रशासन ने न तो हॉस्पिटल खाली कराया और न ही यहां भर्ती मरीजों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था कराई। अवधि पूरी होने पर गुरुवार को कोर्ट ने हॉस्पिटल में ताला लगाकर इसे अपने पजेशन में ले लिया। इस बीच वार्डों में भर्ती मरीज बाहर जमीन पर आ गए। इसका पता चलने पर आनन-फानन में मरीजों को जिला चिकित्सालय रेफर किया गया है।
वार्डों में भर्ती थे 17 मरीज 
जब हॉस्पिटल को खाली कराया जा रहा था, उस समय हॉस्पिटल में कुल 17 मरीज भर्ती थे। इनमें 8 महिलाएं प्रसूती (मैटरनिटी) वार्ड में, पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में 6 बच्चे और जनरल वार्ड में बुखार व अन्य बीमारियों के तीन मरीज भर्ती थे। तीनों वार्डों को खाली कराके उनमें ताला लगा दिया गया। अपना सामान लेकर मरीज हॉस्पिटल के बाहर आ गए थे। 
1997 में हुआ था फैसला
वर्ष 1997 में व्यवहार न्यायालय से एक डिक्री (आदेश) हुई थी, जिसमें जमीन मालिक सुधीर सिंह के पक्ष में फैसला हुआ था। गोहपारू हॉस्पिटल जिस जमीन पर बना है उसका अधिकतर हिस्सा सुधीर सिंह की स्वामित्व में है। प्रशासन ने इस फैसले के खिलाफ पहले एडीजे कोर्ट में अपील की, जहां से अपील खारिज हो गई। इसके बाद हाईकोर्ट में अपील की गई, वहां से भी 2015 में अपील खारिज हो चुकी है। कोर्ट के आदेश के परिपालन में यह जमीन खाली कराई जानी थी। 
जनपद कार्यालय में भी ताला
हॉस्पिटल के साथ-साथ जनपद पंचायत गोहपारू और रेंज कार्यालय गोहपारू की कुछ जमीन भी निजी स्वामित्व में पड़ रही है। जनपद कार्यालय के कुछ हिस्से को भी खाली कराके ताला लगा दिया गया है। बताया जाता है कि ये सभी कार्यालय 1983 में ही बन गए थे, जबकि कोर्ट की डिक्री 1997 में आई थी। गोहपारू सीएचसी में 30 बेड की क्षमता है। पहले यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र था। 2007 में इसे सीएचसी का दर्जा दिया गया है।
हॉस्पिटल बंद नहीं
हॉस्पिटल बंद नहीं हुआ है। यह नियमित रूप से खुलेगा। मरीजों की भर्ती आवश्यकतानुसार अन्य हॉस्पिटल में कराई  जाएगी। जो हिस्सा अपने पास है, उसमें भी वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी चल रही है। मरीजों को जिला हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिया है।
-डॉ. राजेश पांडेय, सीएमएचओ 
 

Created On :   20 Sep 2019 7:59 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story