विशेषाधिकार समिति में अतुल भातखलकर की नियुक्ति पर अजित पवार ने उठाए सवाल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधानमंडल की विशेषाधिकार समिति में भाजपा विधायक अतुल भातखलकर की नियुक्ति पर विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार ने आपत्तिजताते हुए कहा है कि यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। गुरूवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही अजित पवार ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि भातखलकर ने एक व्यक्ति (संजय राऊत) के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस दिया गया है और अध्यक्ष ने उन्हें समिति के सदस्य के तौर पर भी चुना है। मामले में जो वादी हैं वही सदस्य के तौर पर इस पर फैसला लेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि भातखलकर के साथ समिति के सदस्य बनाए गए नितेश राणे, संजय शिरसाट और आशीष जायसवाल ने भी सदन में इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है जिससे पता चलता है कि इस मामले में पहले से इन सदस्यों की राय बनी हुई है। उनका भी इस समिति में होना ठीक नहीं है। अजित पवार ने कहा किमुझे लगता है कि यह नैसर्गिक न्याय और संसदीय कामकाज की पद्धति के भी अनुरूप नहीं होगा। मेरा आग्रह है कि समिति का पुनर्गठन करें। भाजपा के आशीष शेलार ने कहा कि इस तरह की नियुक्ति 100 फीसदी कानूनी है। समिति का गठन स्थायी व्यवस्था है। इस सदन का कोई भी सदस्य अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किया जा सकता है। कोई सदस्य चर्चा में भाग लेता है और अपनी राय रखता है इसलिए समिति में जाने का उसका अधिकार नहीं छीना जा सकता। साथ ही समिति का सदस्य होने के चलते किसी का विशेषाधिकार भी नहीं छीना जा सकता। जिन सदस्यों ने अपनी राय रखी उन्हें नहीं पता था कि वे विशेषाधिकार हनन समिति के सदस्य बनने वाले हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) के रविंद्र वायकर ने कहा कि फरियादी ही अगर न्यायाधीश हो जाएगा तो न्यायकैसे मिलेगा। कांग्रेस के अशोक चव्हाण ने कहा कि जिन्होंने विशेषाधिकार नोटिस दिया है अगर वे ही पूछताछ करेंगे, जांच करेंगे तो ठीक नहीं होगा। हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट में भी कई बार न्यायाधीश कुछ मामलों से खुद को अलग करते हैं।
नोटिस देने वाले सदस्य सुनवाई से रह सकते हैं अलग-नार्वेकर
सदस्यों की राय सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सही है कि न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए होते दिखना भी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब समिति बनती है तो वह किसी एक मामले के लिए नहीं बनती बल्कि उसका कार्यकाल होता है। समिति के सामने कई याचिकाएं आती हैं। कई बार ऐसा होता है कि कई विधानसभा सदस्य जो इस समिति में भी होते है वे याचिकाएं करते हैं। ऐसे में समिति फैसला करती है कि याचिका करने वाले सदस्य समिति से उस मामले के लिए अलग हो सकते हैं। समिति फैसला कर सकती है कि जिन्होंने याचिका की है वे सुनवाई करेंगे या नहीं। साथ ही उन्होंने कहा कि सदन में राय रखने के चलते किसी को समिति में शामिल नहीं किया जाएगा तो विधायकों के लिए समिति मे काम करना असंभव हो जाएगा। इसके चलते दूसरे मुद्दे को अमान्य करना पड़ेगा।
समिति में ये होंगे सदस्य
अध्यक्ष नार्वेकर ने विधानसभा में जानकारी की कि साल 2023-24 के लिए अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने बुधवार को विशेषाधिकार समिति का गठन किया है। राहुल कुल इसके अध्यक्ष होंगे जबकि अतुल भातखलकर, योगेश सागर, अमित साटम, नितेश राणे, अभिमन्यु पवार, संजय शिरसाट, सदा सरवणकर, दिलीप मोहिते पाटील, माणिकराव कोकाटे, सुनील भुसारा, नितिन राऊत, सुनील केदार, विनायक कोरे, आशीष जैस्वाल समिति के सदस्य होंगे।
Created On :   2 March 2023 10:03 PM IST