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आपराधिक मामला लंबित होने से नहीं रोक सकते पासपोर्ट का नवीनीकरण, वन्य जीवों को पकड़ने हो नियमों का पालन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सिर्फ आपराधिक मामले का प्रलंबित होना आरोपी को पासपोर्ट के नवीकरण के अधिकार से वंचित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। मामला मुंबई निवासी एनएन शाह से जुड़ा है। जिनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406,120बी, व 34 के तहत आपराधिक मामला प्रलंबित है। विक्रोली मजिस्ट्रेट कोर्ट ने शाह के पासपोर्ट नवीनकरण से जुड़े आवेदन को इसलिए खारिज कर दिया था कि शाह जिस मामले में आरोपी हैं उस मामले की जांच अभी पूरी नहीं हुई है और प्रकरण से जुड़ा एक आरोपी अभी फरार है। मजिस्ट्रेट कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ शाह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति अमित बोरकर के सामने शाह की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के पासपोर्ट के नवीकरण से जुड़े अधिकार पासपोर्ट अधिनियम के तहत विनियमित होते हैं। इससे पहले आवेदनकर्ता (शाह) को विदेश यात्रा करने की अनुमति भी दी गई थी। इस दौरान उन्होंने यात्रा से जुड़ी किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है। ऐसे में शाह के खिलाफ महज आपराधिक मामला प्रलंबित है। सिर्फ यह तथ्य आवेदनकर्ता(शाह) को पासपोर्ट के नवीनीकरण के अधिकार से वंचित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हमारे सामने रिकार्ड में ऐसी कोई सामग्री नहीं है जो दर्शाए कि शाह के फरार होने का खतरा है। आवेदनकर्ता (शाह) का बेटा आस्ट्रेलिया में कार्यरत है। उसकी मुंबई में संपत्ति है। इसके अलावा जब निचली अदालत ने आवेदनकर्ता को विदेश जाने की अनुमति दी थी तो यह शर्त रखी थी कि वे भविष्य में अदालत की अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जा सकेंगे। हाईरकोर्ट ने कहा कि इसके मद्देनजर आवेदनकर्ता के पासपोर्ट नवीनीकरण के आवेदन को खारिज करने के संबंध में विक्रोली कोर्ट की ओर से जारी आदेश को खारिज किया जाता है। हाईकोर्ट ने पासपोर्ट कार्यालय को यह निर्देश दिया है कि शाह के पासपोर्ट के नवीकरण के आवेदन को सिर्फ इसलिए न खारिज किया जाए कि उसके खिलाफ आपराधिक मामला प्रलंबित है। हालांकि पासपोर्ट कार्यालय पासपोर्ट नवीकरण से जुड़ी पात्रता का परीक्षण करने के लिए स्वतंत्र है। न्यायमूर्ति ने पासपोर्ट कार्यालय को शाह के आवेदन पर नियमों के तहत आदेश जारी करने को कहा है। न्यायमूर्ति ने शाह की ओर से किए आवेदन को मंजूर करते हुए उन्हें राहत प्रदान की।
रिहायशी इलाकों में आने वाले वन्य जीवों को पकड़ने के लिए हो नियमों का पालनः हाईकोर्ट
बांबे हाईकोर्ट ने कहा है किवन विभाग जंगल से भटक कर रिहायशी इलाके में आनेवाले वन्य जीवों को नियंत्रित करने को लेकर जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें। हाईकोर्ट ने एक जंगली भैसे को पकड़ते समय हुई उसकी मौत की घटना को लेकर यह निर्देश दिया है। इससे पहले वन अधिकारी ने मामले को लेकर हलफनामा दायर कर कहा कि जंगल से भटक कर शहर के भीड़भाड़वाले इलाके में आनेवाले प्राणियों के राहत व बचाव कार्य को कैसे अंजाम दिया जाए, इसके लिए कर्मचारियों को जरुरी प्रशिक्षण व कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए साल 2015 में दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। जिसका पालन हो रहा है। याचिका में पुणे की जिस घटना का जिक्र किया गया है उस दौरान भी भीड़-भाड इलाके में आए जंगली भैसे को पकड़ने के लिए दिशा निर्देशों का पालन किया गया था लेकिन उसकी सदमें के कारण हृदयाघात के चलते मौत हो गई थी। वन अधिकारी ने अपने हलफनामे में भैसके साथ बर्बरताकरने के आरोपों का खंडन किया गया था। इस बात को जानने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला की खंडपीठ ने कहा कि भविष्य में भी भटक कर रिहायशी इलाके में आ जाने वाले जंगली जानवरों को नियंत्रित करने के लिए साल 2015 के दिशा-निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया और याचिका को समाप्त कर दिया। जंगली भैसे की सुरक्षा को लेकर लॉर्यस फॉर अर्थ जस्टिस नामक संगठन ने याचिका दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि जंगली भैसे को पकड़ने के दौरान वन विभाग के अधिकारियों को नियमों का पालन करने का निर्देश दिया जाए। क्योंकि जैव विविधता के लिहाज से जंगली भैसे का अस्तित्व व संरक्षण काफी जरुरी है। इसलिए इन पर किसी भी रुप में बर्बरता को रोका जाना अपेक्षित है। याचिका में दावा किया गया था कि पुणे की कोथरुड इलाके में भटके हुए जंगली भैसे को पकड़ने के लिए उसके साथ बर्बरता की गई। जिसके चलते उसकी मौत हो गई।
Created On :   29 Dec 2022 9:55 PM IST