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लोग हैरान, पूछ रहे सवाल सड़कें धूल भरी और माँग रहे प्रदूषण का सर्टिफिकेट
डिजिटल डेस्क जबलपुर । सड़क पर चलने के दौरान निर्धारित ट्रैफिक नियम का पालन करना हर नागरिक का पहला कर्तव्य है। इससे किसी तरह का समझौता नहीं किया जाना चाहिए लेकिन शनिवार दोपहर दीनदयाल चौराहे के समीप एक कार चालक और पुलिस के जवानों के बीच हुई बहस में कुछ ऐसे सवाल निकलकर सामने आए जो वाकई विचारणीय हैं। दरअसल यहाँ चैक प्वॉइंट पर तैनात पुलिस कर्मी कार सवार युवक पर जमकर बरस रहा था। सीट बेल्ट नहीं पहनने पर कार चालक युवक से जुर्माने की रसीद कटाने को कह रहा था। वह युवक से पॉल्यूशन का सर्टिफिकेट भी माँग रहा था। युवक भी उसी अंदाज में जवाब दे रहा था कि सीट बेल्ट ऐसी सड़क पर बाँधना ज्यादा उचित है, जहाँ गाड़ी तेज रफ्तार से चलती हो। यहाँ तो गड्ढ़ों के कारण बीस की रफ्तार पर भी नहीं चल पा रहे। रही बात प्रदूषण की तो यह भी देखें की सड़कों के कारण ही गाडिय़ाँ खस्ताहाल हो रही हैं। हर तरफ धूल के गुबार हैं। नियम का पालन आवश्यक है, इसे फॉलो करना चाहिए। लेकिन सड़कों पर धूल और गड्ढों के लिए भी तो किसी पर जवाबदेही और जुर्माना तय किया जाना चाहिए।
यहाँ तो खुद ही धूल से बचना मुश्किल
करौंदा नाला के पास पुलिस शहर के अंदर आने वाले वाहनों को शाम के वक्त चैक कर रही है। संजीवनी नगर निवासी संतोष शुक्ला कहते हैं कि यहाँ पर पीयूसी का प्रमाण मुझसे माँगा गया। यह प्रमाण पत्र जरूरी है। नियम के अनुसार इसको दिखाना चाहिए पर इस मार्ग में हालत ऐसी है कि कार को ही उड़ती धूल से बचा पाना कठिन है। एक बार निकले तो पूरी कार को धोना पड़ता है। यहाँ पीयूसी का प्रमाण पत्र माँगना ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
सीट बेल्ट क्या लगाएँ, एक डग भारी
स्नेह नगर निवासी नीरज श्रीवास्तव कहते हैं कि दीनदयाल चौक पर सीट बेल्ट न पहनने पर पुलिस जुर्माना लगाती है। मैं हर दिन काम के सिलसिले में शहर से बाहर जाता हूँ। बाहर कार में सीट बेल्ट लगाता हूँ लेकिन चुंगीनाका से दमोहनाका की ओर जब चलता हूँ तो शाम को एक डग भी भारी जैसा लगता है। जब पुलिस सीट बेल्ट न लगाने पर रसीद काटती है तो मन में सवाल उठता है कि जहाँ पैदल चलना दुष्कर है, वहाँ क्या सीट बेल्ट लगाकर कोई वाहन तेज चला पाएगा। यह नियम यहाँ पर तमाशा सा लगता है।
ट्रैफिक, पुलिस थाने के सामने ही कब्जे
गढ़ा थाने के करीब ही ट्रैफिक थाना है। यहाँ पर िदन भर चैकिंग की जाती है। इसी हिस्से से हर दिन निकलकर अपने खेत जाने वाले राहुल प्यासी कहते हैं िक ट्रैफिक नियम का पालन पुलिस कराती है कभी थाने के आसपास से ही कब्जे अलग करने की कोशिश कर ले तो हजारों लोगों को राहत मिल सकती है। यहाँ वसूली पर ध्यान है पर अवैध अस्थाई कब्जे हटाने की सुध किसी को नहीं है।
इनके बीच सालों से कोई समन्वय नहीं
लोगों का कहना है कि जिला योजना समिति की बैठक में शहर की सड़कों, ट्रैफिक की समस्या को लेकर हर बार बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। इस बैठक में प्रशासन, नगर निगम, स्मार्ट सिटी, निर्माण एजेंसी के अधिकारी, पुलिस प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी मौजूद होकर व्यवस्था को दुरुस्त बनाने की बातें तो करते हैं लेकिन जैसे ही बैठक खत्म पूरे मिनिट्स दिमाग से गायब हो जाते हैं। सभी जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों के बीच कभी कोई समन्वय समाधान को लेकर नजर ही नहीं आता है।
Created On :   29 Aug 2021 5:39 PM IST