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कोरोना की बजाय दूसरी बीमारियों से ज्यादा मर रहे लोग, प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने आनन-फानन में लॉकडाउन लगा दिया। करीब 80 फीसदी अस्पताल कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए। किसी भी बीमारी के लिए अस्पताल जाने वाले शख्स की कोरोना संक्रमण के लिए जांच की जाने लगी। लेकिन सरकार का यह कदम दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए जानलेवा साबित हुआ।आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 के मई महीने में मुंबई में कुल 6832 लोगों की मौत हुई थी। जबकि इस साल मई महीने में महानगर में कुल 13833 लोगों ने जान गंवाई। यानी पिछले साल की तुलना में इस साल 6044 ज्यादा लोगों की मौत हुई। इनमें से सिर्फ 957 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण के चलते हुई थी। माना जा रहा है कि दूसरी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया।
मंगलवार को जारी गैर सरकारी संस्था प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान कोरोना संक्रमण के बजाय दूसरी बीमारियों से ज्यादा लोगों की जान गई है। मुंबई में स्वास्थ्य की स्थिति पर एक श्वेतपत्र जारी करते हुए प्रजा फाउंडेशन के ट्रस्टी निताई मेहता ने कहा कि महामारी के दौरान पता चला कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा बुनियादी ढांचा किस तरह चरमराया हुआ है।
देश की सबसे समृद्ध महानगर पालिका मुंबई के अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ के 47 फीसदी पद रिक्त हैं जबकि पैरा मेडिकल पदों में से 43 फीसदी रिक्त हैं।
ये बीमारियां ज्यादा जानलेवा
कोरोना संक्रमण से मुंबई में रोजाना औसतन 46 लोगों की मौत हो रही है। लेकिन साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक महानगर में रोजाना औसतन डायबिटीज से 29, कैंसर से 28, सांस की बीमारी से 22 और टीबी से 14 लोगों की जान चली जाती है। आंकड़ों से साफ है कि दूसरी घातक बीमारियां लोगों के लिए ज्यादा जानलेवा साबित हो रहीं हैं।
Created On :   22 Sept 2020 7:42 PM IST