पीटर मुखर्जी को निजी अस्पताल में इलाज की मिली अनुमति, मलेशिया से भ्रूण आयात करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई पर रोक

Peter Mukherjee got permission for treatment in private hospital
पीटर मुखर्जी को निजी अस्पताल में इलाज की मिली अनुमति, मलेशिया से भ्रूण आयात करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई पर रोक
पीटर मुखर्जी को निजी अस्पताल में इलाज की मिली अनुमति, मलेशिया से भ्रूण आयात करने वाले डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई पर रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई में सीबीआई की विशेष अदालत ने शीना-वोरा हत्याकांड मामले में आरोपी पीटर मुखर्जी को इलाज के लिए अपनी पसंद का निजी अस्पताल चुनने की इजाजत दे दी है। इससे पहले पीटर ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल को हल्का हार्ट अटैक अाया है। इसलिए मुखर्जी को बायपास व एंजियोप्लासटी की जरुरत है। पीटर को छाती में दर्द होने की शिकायत पर रविवार को जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जेजे अस्पताल से मिली जांच रिपोर्ट के बाद पीटर ने अपने वकील के माध्यम से निजी अस्पताल में इलाज की अनुमति के लिए आवेदन दायर किया था। न्यायाधीश जेसी जगदाले के सामने पीटर के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान न्यायाधीश ने पीटर के वकील द्वारा पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पीटर को निजी अस्पताल में इलाज की इजाजत दे दी। 

मलेशिया से भ्रूण आयात करने वाले डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई पर हाईकोर्ट की रोक

बांबे हाईकोर्ट ने सोमवार को एक भ्रूण विज्ञानी डाक्टर को राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट ने राजस्व खूफिया निदेशालय (डीआरआई) को निर्देश दिया है कि वह मलेशिया से इंसानों के भ्रूण का आयात करनेवाले आरोपी भूणविज्ञानी डाक्टर गोरल गांधी के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करे, लेकिन डाक्टर गांधी जांच के लिए डीआरआई के सामने हाजिर हो। सोमवार को न्याय मूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने डाक्टर गांधी की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान गांधी की ओर से पैरवी कर  रहे अधिवक्ता सुजाय काथावाला ने कहा कि मेरे मुवक्किल का बांद्रा इलाके में आईवीएफ क्लिनिक है। वे कारोबारी उद्देश्य से भ्रूण का आयात नहीं करते हैं। याचिका में गांधी ने कहा है कि 16 मार्च के दिन डीआरआई के अधिकारियों ने उसके क्लिनिक में छापेमारी की थी और वहां से कई दस्तावेज जब्त किए थे और उसे एक समन भी दिया था। 

इससे पहले डीआरआई की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता रिबेका गोनसाल्विस ने कहा कि अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने एक शख्स को पकड़ा था। जब उसके समान की जांच की गई तो उसमे से एक डिब्बे में भ्रूण मिला। पूछताछ के बाद अधिकारियों को पता चला कि भ्रूण से भरा डिब्बा डाक्टर गांधी के क्लिनिक को दिया जाना था। नियमानुसार इंडियन मेडिकल काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की जरुरी अनुमति के बिना इंसानों के भ्रूण का आयात नहीं किया जा सकता है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने डीआरआई को इस प्रकरण को लेकर हलफनामा दायर करने को कहा और मामले की सुनवाई 3 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने याचिकाकर्ता डाक्टर गांधी को निर्देश दिया कि वे 22 मार्च को डीआरआई के अधिकारियों के सामने अपना बयान दर्ज कराने के लिए हाजिर हो। खंडपीठ ने कहा कि फिलहाल डीआरआई के अधिकारी डाक्टर गांधी के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करे। 

 

Created On :   18 March 2019 9:15 PM IST

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