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Anglo-Indian कोटे से सांसद और विधायक मनोनीत करने को चुनौती, HC ने जारी किया सरकार को नोटिस

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर एंग्लो इंडियन कोटे से सांसद और विधायक मनोनीत करने को चुनौती दी गई है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। याचिका पर अगली सुनवाई एक मार्च को होगी।
दायर याचिका में यह कहा गया
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच जबलपुर के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 331, 333 और 366 (2) में एंग्लो इंडियन कोटे से लोकसभा में दो और राज्य की विधानसभाओं में एक-एक सदस्य मनोनीत करने का प्रावधान किया गया है। बिना चुनाव लड़े सांसद और विधायक मनोनीत होने वाले एंग्लो इंडियन समुदाय के सदस्यों के पास वह सभी अधिकार होते हैं, जो निर्वाचित सांसद और विधायकों के पास होते है।
याचिका में कहा गया कि संविधान लागू करते समय इस प्रावधान को 10 साल के लिए लागू किया गया था। इसके बाद उसे 10-10 साल के लिए बढ़ाया जाता रहा। संविधान के 95 वें संशोधन के जरिए इस प्रावधान को वर्ष 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
अल्पमत को बहुमत को बदलने में इस्तेमाल
अधिवक्ता अजय रायजादा ने तर्क दिया कि राजनीतिक दल इस प्रावधान का इस्तेमाल अल्पमत को बहुमत में बदलने के लिए कर रहे हैं। इस प्रावधान से संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत प्रदत्त समानता के अधिकार का उल्लघंन हो रहा है। पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद बहुमत परीक्षण के दौरान एंग्लो इंडियन कोटे से विधायक मनोनीत करने पर रोक लगा दी थी।
अत्याचार करने वालों को प्रतिनिधित्व क्यों
जनहित याचिका में सवाल उठाया गया है कि अंग्रेजों ने आजादी की लड़ाई लडऩे वाले भारतीयों पर अत्याचार किए। जलियांवाला बाग हत्याकांड और अन्य घटनाएं हुई है। इसके बाद भी अंग्रेजों के वंशजों को लोकसभा और विधानसभा में प्रतिनिधित्व क्यों दिया जा रहा है। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
Created On :   14 Jan 2019 7:18 PM IST