आईपीएल दुबई में कराने के खिलाफ दायर याचिका वापस, बगैर रकम जमा किए सुनवाई को तैयार नहीं हुआ कोर्ट

Petition withdrawn by the petitioner against IPL to be held in Dubai
आईपीएल दुबई में कराने के खिलाफ दायर याचिका वापस, बगैर रकम जमा किए सुनवाई को तैयार नहीं हुआ कोर्ट
आईपीएल दुबई में कराने के खिलाफ दायर याचिका वापस, बगैर रकम जमा किए सुनवाई को तैयार नहीं हुआ कोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के क्रिकेट मैच भारत से दुबई स्थानांतरित करने के विरोध में दायर की गई याचिका को याचिकाकर्ता ने वापस ले लिया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता कोर्ट में कुछ रकम जमा करे, तो ही याचिका पर सुनवाई करेंगे। यह रकम लाख में होनी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ की ओर से सुनवाई को लेकर कही गई बात के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली। इस विषय पर पुणे के वकील अभिषेक लागु ने जनहित याचिका दायर की थी। याचिका के मुताबिक यदि आईपीएल भारत से दुबई स्थानांतरित किया गया तो इससे देश को राजस्व का काफी नुकसान होगा। इसलिए बोर्ड ऑफ कंट्रोल फ़ॉर क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआई) को यहां सुरक्षा उपायों के साथ आईपीएल के आयोजन के लिए कहा जाए।

ऑनलाइन पढ़ाई मामले में स्कूलों को हाईकोर्ट से मिली राहत बरकरार
 
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नर्सरी से कक्षा दो तक के विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न करने के संबंध में दी गई अंतरिम राहत को बरकरार रखा है। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह अंतरिम आदेश जारी किया था। जिसे न्यायमूर्ति नीतिन जामदार की खंडपीठ ने तीन सप्ताह तक के लिए कायम रखा है। इस विषय पर पैरेंट्स टीचर एसोसिएशन यूनाइटेड फोरम ने याचिका दायर की है। याचिका में सरकार की ओर से पढ़ाई को लेकर 22 जुलाई 2020 को जारी किए गए आदेश को मनमानीपूर्ण व असंवैधानिक बताया गया है। पहले याचिका में सरकार के पुराने निर्णय को चुनौती दी गई थी। लेकिन अब याचिकाकर्ता नए परिपत्र को चुनौती देना चाहते हैं। इसे देखते हुए खंडपीठ ने अंतरिम राहत को बरकरार रखा और सुनवाई को स्थगित कर दिया। 
 

फिलहाल इस नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकता इमामी: हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंशकालिक समय के लिए इमामी फर्म को  अपने त्वचा की सुरक्षा से जुड़े उत्पादों को बेचने के लिए "ग्लो एन्ड हैंडसम" शब्द का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। हाईकोर्ट ने यह आदेश हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। कंपनी ने दावा किया था कि ट्रेड मार्क कानून के तहत उसने पहले :ग्लो एन्ड हैंडसम" शब्द को अपनाया था। इसलिए इस पर हिंदुस्तान लीवर का हक है। न्यायमूर्ति एस सी गुप्ते के सामने हिंदुस्तान यूनिलीवर की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान इमामी ने दावा किया कि उसने पहले "ग्लो एन्ड हैंडसम" शब्द का प्रयोग किया था। इसलिए हिंदुस्तान लीवर को इसके इस्तेमाल से रोका जाए। किंतु न्यायमूर्ति ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद कहा कि "ग्लो एन्ड हैंडसम" शब्द को पहले हिंदुस्तान लीवर ने अपनाया था। न्यायमूर्ति ने इमामी के अंशकालिक समय के लिए इन शब्दों के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी। 
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भिखारियों के पुनर्वास के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए

बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि उसने सड़कों पर भीख मांगने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाए हैं। इसकी जानकारी हमे हलफनामें में दे। अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में व्यापक रुख अपनाए। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने यह बात एक जनहित पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में कहा गया है कि भिखारी सड़कों पर कोरोना के संक्रमण को रोकने से जुड़े उपायों का पालन नहीं करते हैं। इसलिए सरकार को भिखारियों के पुनर्वास के लिए घर बनाने का निर्देश दिया जाए। 

 
 

Created On :   18 Aug 2020 6:29 PM IST

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