राणे और बेटे को अग्रिम जमानत - पुलिस मशीनरी और जांच एजेंसियां का सरकार के हथियार के रुप में काम करना अपेक्षित नहीं

Police machinery and investigative agencies are not expected to act as weapons of the government
राणे और बेटे को अग्रिम जमानत - पुलिस मशीनरी और जांच एजेंसियां का सरकार के हथियार के रुप में काम करना अपेक्षित नहीं
अदालत राणे और बेटे को अग्रिम जमानत - पुलिस मशीनरी और जांच एजेंसियां का सरकार के हथियार के रुप में काम करना अपेक्षित नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पुलिस मशीनरी अथवा किसी भी जांच एजेंसी का सरकार के हथियार के रुप में कार्य करना अपेक्षित नहीं है। पुलिस जब जांच से जुड़े अपने दायित्व का निवर्हन करती है तो उसका निर्भिकता व निष्पक्षता से कार्य करना अपेक्षित है। बुधवार को मुंबई की दिंडोशी कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे व उनके विधायक बेटे नितेश को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए अपने आदेश में उपरोक्त बात कही। इन दोनों(केंद्रीय मंत्री राणे व उनके बेटे) पर दिवंगत फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मौत को लेकर मीडिया के सामने भ्रामक व मानहानिपूर्ण सूचनाएं फैलाने का आरोप है। मालवणी पुलिस ने इस मामले को लेकर दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। 

प्रकरण में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए  केंद्रीय मंत्री राणे व उनके बेटे ने दिंडोशी सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत आवेदन दायर किया था। शुरुआत में कोर्ट ने दोनों को अंतरिम राहत दी थी और 16 मार्च को आवेदन पर सुनवाई रखी थी। 

जांच एजेंसियों का सरकार के अंतर्गत काम करना दुर्भाग्यपूर्ण

बुधवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसयू बघेली ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि  जांच एजेंसियों का सरकार के अधीन व अंतर्गत काम करना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह जरुरी है कि राज्य पूरी तरह से यह सुनिश्चित करे की जांच एजेंसिया पूरी तरह से स्वतंत्र हो। ताकि जैसे संविधान में तय किया गया वैसे न्याय के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। 

न्यायाधीश ने मामले को लेकर आरोपियों पर लगे आरोपों पर गौर करने के बाद कहा कि इस मामले में आरोपियों(केंद्रीय मंत्री राणे व उनके बेटे) को हिरासत मे लेकर पूछताछ करने की जरुरत नहीं है। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपियों द्वारा मामले को लेकर किए गए दावे के आधार व स्त्रोत की जानकारी न देने को जांच में उनके असहयोग के रुप में नहीं देखा जा सकता है। जहां तक बात आरोपियों की कथित आपराधिक पृष्टभूमि की बात है तो यह आरोपियों को उनकी निजी स्वतंत्रता से वंचित करने का आधार नहीं हो सकती है। इस तरह न्यायाधीश ने दोनों आरोपियों को 15-15 हजार रुपए के निजी मुचलके व एक जमानतदार देने पर पर उन्हें जमानत प्रदान की। न्यायाधीश ने आरोपियों को कहा है कि वे मामले से जुड़े गवाह के साथ छेड़छाड न करने व जांच में सहयोग करे। इससे पहले आरोपियों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सतीश माने शिंदे ने कहा था कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है। मेरे मुवक्किलों ने जांच में सहयोग किया है। इसलिए उन्हें जमानत प्रदान की जाए। वहीं विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत ने आरोपियों की जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि आखिर आरोपियों ने किस आधार पर दावा किया है कि आत्महत्या करनेवाली सालियान की हत्या की गई थी और उसके साथ दुष्कर्म हुआ है। इसका उन्हें पुलिस के सामने खुलासा करना चाहिए। 

 

Created On :   16 March 2022 9:20 PM IST

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