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पॉलिसी धारक का आरोप : पुराने ग्राहकों के साथ भी बीमा कंपनी का बर्ताव बुरा
स्टार हेल्थ ने पेसमेकर का भुगतान नहीं किया और न ही घुटने के ऑपरेशन का..!
डिजिटल डेस्क जबलपुर । बीमा कराना तो आसान होता है क्योंकि बीमा कंपनी को रुपए मिल जाते हैं और वह दो रुपए के कागज में जमा रसीद देकर पॉलिसी लेने वाले को चलता कर देती है। उसके बाद पॉलिसी धारक को जब जरूरत पड़ती है तो उसे कई चक्कर लगाने पड़ते हैं लेकिन उसके बाद भी बीमा कंपनी नहीं सुनती। अस्पताल में भर्ती होने पर कैशलेस की सुविधा का वादा तो पॉलिसी बेचते वक्त किया जाता है पर भर्ती होते ही बीमित को कैशलेस करने से इनकार करते हुए हाथ खड़े कर लिए जाते हैं। बीमित ठीक होने के बाद बीमा कंपनी में सारे बिल सबमिट करता है तो जल्द भुगतान का आश्वासन तो दिया जाता है पर अचानक अनेक क्वेरी के बाद नो क्लेम का लैटर बीमा कंपनी भेज देती है। इंश्योरेंस कराने वाला अगर किसी तरह की जानकारी माँगता है तो वह भी उसे समय पर नहीं दी जाती। पीडि़तों का आरोप है कि बीमा कंपनियों के डायरेक्टर, क्लेम टीम के प्रभारी सहित जितने भी जिम्मेदार हैं उनके विरुद्ध जालसाजी का मामला दर्ज किया जाना चाहिए, चूँकि इनका बर्ताव भी बुरा है।
इलाज के सारे बिल देने के बाद भी बीमित को नहीं मिला क्लेम
गोलबाजार निवासी सुधा चौबे ने अपनी शिकायत में बताया है कि उन्होंने स्टार हेल्थ से बीमा पॉलिसी ले रखी है। उनकी पॉलिसी 20 लाख रुपए तक के इलाज के लिए है। सालों से बीमा पॉलिसी का संचालन करते आ रही हैं। उन्हें चलने में तकलीफ होने के कारण केरल में घुटने का ऑपरेशन हुआ था। बीमा कंपनी ने कैशलेस करने के लिए कहा था पर आधा फंड रिलीज करने के बाद किसी तरह का भुगतान बीमा कंपनी नहीं कर रही है। इसी तरह उन्हें जब पेसमेकर डाला गया तो अस्पताल का 2 लाख 67 हजार का बिल बना पर उसका भी भुगतान बीमा कंपनी ने नहीं किया, जबकि बीमा कंपनी ने कैशलेस कराने का वादा किया था और वह भी पूरा नहीं किया। बीमा कंपनी में सारे बिल सबमिट किए गए उनमें अनेक क्वेरी निकाली गईं और उसके बाद क्लेम नहीं दिया। पीडि़ता का आरोप है कि बीमा कंपनी ने जो वादे किए थे उसे पूरा नहीं किया और हमें मानसिक रूप से प्रताडि़त किया है। प्रशासन को बीमा कंपनी के जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए।
शुगर की बीमारी कवर पॉलिसी होने के बाद भी नहीं किया सेटलमेंट
कटनी मदन मोहन वार्ड निवासी अरुण विश्वकर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि मैक्स बूपा की शुगर की बीमारी कवर वाली बीमा पॉलिसी ली थी। बीमा पॉलिसी में पूरे परिवार के सदस्यों को बीमित कराया गया था। पिता जिया लाल विश्वकर्मा की अचानक तबियत बिगडऩे के कारण उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और उसके बाद नागपुर ले जाना पड़ा था। नागपुर में पूरा इलाज चला पर बीमा कंपनी ने किसी तरह की सहायता नहीं दी। उन्हें पिता के इलाज के लिए पूरा भुगतान देना पड़ा। उसके बाद से अरुण लगातार बीमा कंपनी में संपर्क कर रहे हैं पर अभी तक किसी तरह की राहत भरी खबर बीमा कंपनी के जिम्मेदारों द्वारा नहीं दी जा रही है। बीमा कंपनी में अनेक मेल वे कर चुके हैं, साथ ही टोल-फ्री नंबर पर भी कई बार अरुण संपर्क कर चुके हैं पर पॉलिसी निराकरण का वहाँ से किसी तरह का उचित उत्तर नहीं दिया जा रहा है। पीडि़त का कहना है कि बीमा कंपनी हमें जानबूझकर परेशान कर रही है, जिससे बीमित क्लेम लेने से पीछे हट जाए और बीमा कंपनी को फायदा हो जाए।
**सुधा चौबे से हमारी कंपनी के वरिष्ठ चिकित्सकों द्वारा कलस्टर रिपोर्ट माँगी गई है और वह रिपोर्ट अगर उनके द्वारा जमा कर दी जाती है तो जल्द ही उनके क्लेम को सेटल करने की प्रक्रिया कंपनी द्वारा की जाएगी।
-कुलदीप मिश्रा, स्टार हेल्थ
**वहीं मैक्स बूपा के प्रतिनिधि का कहना है कि हमारी कंपनी के पॉलिसी धारक जिया विश्वकर्मा के पहले दस्तावेज नहीं मिले थे। अब उनके दस्तावेज मिल गए हैं और जल्द ही प्रकरण का निराकरण कर दिया जाएगा।
Created On :   14 July 2021 3:57 PM IST