प्रश्नों की बौछार के आगे पॉलिसी होल्डर लाचार - क्लेम ठुकराने की बदनीयती 

Policyholders helpless in front of a barrage of questions - Bad intentions to reject claims
प्रश्नों की बौछार के आगे पॉलिसी होल्डर लाचार - क्लेम ठुकराने की बदनीयती 
प्रश्नों की बौछार के आगे पॉलिसी होल्डर लाचार - क्लेम ठुकराने की बदनीयती 

हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को लेकर अजब हालात, उपभोक्ताओं का कहना- सभी शंकाओं का समाधान करो तो भी तर्क निराधार बताए जा रहे हैं, पेमेंट न देना पड़े इसलिए टालकर लंबा खींचा जा रहा मामलों को
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
कोरोना जैसे जानलेवा मर्ज की चपेट में आये बीमित व्यक्ति को क्लेम न देना पड़े इसके लिए हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियाँ तरह-तरह की कोशिश कर रही हैं। जिला प्रशासन को जो शिकायत मिल रही हैं उनमें कई उपभोक्ताओं ने अपनी व्यथा का  उल्लेख िकया है िक कंपनियाँ क्लेम के वक्त ऐसे-ऐसे प्रश्न पूछ रही हैं जिनका किसी भी तरह से बीमारी के वक्त से कोई सरोकार नहीं है। एक बार 8 से 10 बिंदुओं का नोटिस देकर प्रश्न पूछा जा रहा है। इन सभी प्रश्नों का जवाब दस्तावेजों के साथ जब दिया जाए तो अगली क्वेरी का कागज थमा दिया जाता है। जिन मरीजों का भर्ती होकर मौलिक उपचार हुआ वे ऐसे प्रश्नों से भला क्यों डरें, सभी तरह की सच्चाई कंपनियों के नुमाइंदों के सामने दी जा रही है। सभी तरह के प्रमाणों के बाद भी लेकिन दो-तीन बार की कोशिश के पश्चात क्लेम को निरस्त कर दिया जा रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि कंपनियाँ पीडि़तों को हताश करना चाहती हैं। असल में इनका एक ही इरादा है कि इन्हें किसी भी तरह से बस क्लेम न देना पड़े। 
कुछ इस तरह के सवाल कर रहीं बीमा कंपनियाँ
बीमार होने का वक्त क्या था। भर्ती होने का एकदम सटीक टाइम बताओ। आरटीपीसीआर की रिपोर्ट पॉजिटिव है तो पहले रैपिड एंटीजन टेस्ट क्यों नहीं कराया। आरटीपीसीआर का मोबाइल में मैसेज आने का टाइम बताओ। मोबाइल जिसमें मैसेज आया वह किसका है। बी फॉर्म भरा था कि नहीं दोबारा लाओ। पूरी रिपोर्ट कुछ आशंका से भरी है कुछ और प्रमाण लाओ। कई तरह के गैर जरूरी तो कुछ जटिल सवाल जिनका बीमारी से लेना-देना नहीं है। इन सभी प्रश्नों का जवाब पीडि़त परिवार के सदस्य साक्ष्य के साथ दे रहे हैं पर इनको मानने की बजाय सवालों की अगली लिस्ट ग्राहकों को सौंप दी जाती है। जवाब तर्क संगत हुये और कोई नया प्रश्न नहीं है तो सीधे क्लेम को अनेकों केस में निरस्त िकया जा रहा है। 
लंग्स का पुराना मर्ज, क्लेम नहीं  
कोरोना के कई मामलों में क्लेम को इसलिए निरस्त कर दिया जा रहा है कि लंग्स की पुरानी बीमारी से ग्राहक पीडि़त था। कंपनी आरोप लगा रही है कि उपभोक्ता ने श्वास, अस्थमा संबंधी जटिल बीमारी को पहले से छिपाया। जब कोरोना हुआ तो ऐसे व्यक्ति का बच पाना कठिन है। फेफड़े खराब हैं तो कोरोना से  व्यक्ति ग्रसित होता ही जाता है। इन हालातों में क्लेम का सटीक आधार नहीं बनता है। पुरानी बीमारी का बहाना बताकर क्लेम को सेटल नहीं िकया जाता है। 
इनके खिलाफ शिकायतें   
आसपास के जिलों में खासकर स्टार हेल्थ, इफको टोकियो, केयर हेल्थ, चोला मंडलम, एचडीएफसी जनरल इंश्योरेंस, ओरियंटल इंश्योरेंस, आईसीआई, यूनिवर्सल सोम्यो, रिलायंस जनरल हेल्थ जैसी कंपनियाँ हैं जिनके खिलाफ उपभोक्ताओं ने ज्यादा शिकायतें की हैं।
 

Created On :   14 Jun 2021 4:27 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story