दो दिन में निकल गया 1 करोड़ रुपए के पावर ट्रांसफार्मर का दम

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दो दिन में निकल गया 1 करोड़ रुपए के पावर ट्रांसफार्मर का दम

डिजिटल डेस्क, सतना। जिला मुख्यालय के पतेरी स्थित 33/11 केवी सब स्टेशन में 17 मार्च को लगाया गया 8 एमवीए का नया पावर ट्रांसफार्मर का महज 2 दिन में ही दम निकल गया। आईपीडीसी स्कीम से क्षमता वृद्धि के अंतर्गत लगाए गए इस पावर ट्रांसफार्मर की कीमत 1 करोड़ से भी ज्यादा है। कंपनी सूत्रों ने बताया कि सब स्टेशन के 4 में से एक 3 फीडर की पावर सप्लाई फिलहाल 5 एमवीए के एक अन्य पावर ट्रांसफार्मर के भरोसे है।

महदेवा से जोड़ा गया आरआरडब्ल्यू
पतेरी सब स्टेशन में अभी तक 5-5 एमवीए के 2 पावर ट्रांसफार्मर लगे थे। हाल ही में 17 मार्च को दो में से 5 एमवीए के एक ट्रांसफर की क्षमतावृद्धि करते हुए 8 एमवीए का नया ट्रांसफार्मर भारी मशक्कत के बाद बैठाया गया। आईपीडीसी का ये काम  कंपनी के पास है। आरोप है कि पावर ट्रांसफार्मर 18 अगस्त को खराब हो गया। सब स्टेशन के अकेले बचे 5 एमवीए के पावर ट्रांसफार्मर पर लोड बढ़ा तो आननफानन में 11 केवी के आरआरडब्ल्यू फीडर को तो महदेवा स्थित सब स्टेशन से जोड़ दिया गया, लेकिन 3 अन्य फीडर (साउथ पतेरी, नार्थ पतेरी और बगहा) का लोड अभी भी 5 एमवीए के पावर ट्रांसफार्मर पर है।  

हवा में  झूलते हैं विद्युत कंपनी के जानलेवा जुगाड़
जिला मुख्यालय से लेकर पूरे सतना जिले में विद्युत कंपनी के जानलेवा जुगाड़ झूल रहे हैं। पतले तार से बंधे पत्थर कब हवा के झोंके से टूट कर राहगीरों को चोटिल कर दें, कुछ कहा नहीं जा सकता है? जिले में विद्युत कंपनी का ये जुगाड़ किस कदर लोकप्रिय है,अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय के लगभग 885 और जिले के तकरीबन 17 हजार 419 छोटे-बड़े ट्रांसफार्मरों को फूंकने से बचाने के लिए पत्थरों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि विद्युत कंपनी के जिम्मेदार अफसर इस मसले पर किसी जनहानि की आशंका से इंकार करते हैं। इन अफसरों का कहना है कि 11 केवी लाइनों में आए फाल्ट से ट्रांसफार्मर को बचाने के लिए फ्यूज बांधने का ये देशी जुगाड़ बेहद कारगार है। मगर, बावजूद इसके जानकार सवाल उठाते हैं कि इसके लिए कंपनी स्तर पर उपलब्ध कराए जाने वाले स्टूमेंट के बजट का हिसाब कहां है?

आखिर, ऐसा क्यों
विद्युत कंपनी की 11 केवी लाइनों के फाल्ट से ट्रांसफार्मर को बचाने के लिए डीयो को पत्थर से बांधने के जुगाड़ से जुड़े सवाल के जवाब में कंपनी के अफसरों के कुछ और तर्क भी हैं। मसलन- स्टूमेंट के इस्तेमाल से कार्बन आ जाता है। कार्बन नहीं दिखने के कारण फाल्ट की स्थितियां बनती हैं। अगर कहीं कार्बन आ गया तो उसे साफ करने के लिए पावर सप्लाई बंद करनी पड़ती है, जबकि पत्थर बांधने से लाइन स्टाफ को इस तरह की मशक्कत नहीं करनी पड़ती है।

Created On :   28 March 2019 2:16 PM IST

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