ए ग्रेड हासिल करने की तैयारियों में जुटा रादुविवि प्रबंधन - लक्ष्य तय, छह माह के भीतर नैक को सबमिट की जाएगी  रिपोर्ट

ए ग्रेड हासिल करने की तैयारियों में जुटा रादुविवि प्रबंधन - लक्ष्य तय, छह माह के भीतर नैक को सबमिट की जाएगी  रिपोर्ट
ए ग्रेड हासिल करने की तैयारियों में जुटा रादुविवि प्रबंधन - लक्ष्य तय, छह माह के भीतर नैक को सबमिट की जाएगी  रिपोर्ट

डिजिटल डेस्क जबलपुर । रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में 2015 में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की टीम आई थी। उसके बाद टीम को 2020 में आना था, लेकिन कोरोना के चलते विवि सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) नैक को सबमिट नहीं कर पाया, लेकिन आने वाले छह माह में विवि नैक को ऑनलाइन रिपोर्ट सबमिट कर देगा। इस बार विवि प्रशासन का फोकस नैक द्वारा पिछली बार मिले "बी ग्रेड" को पीछे छोड़ "ए ग्रेड" हासिल करना है। बता दें कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत यूजीसी ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के सख्त नियम बना दिए हैं। इसके लिए अगले सत्र 2022 से 2.5 या उससे अधिक नैक स्कोर वाले विवि और कॉलेज में ही पढ़ाई संभव हो सकेगी। हालाँकि विवि कुलपति के अनुसार फिलहाल इससे संबंधित आदेश नहीं आया है, लेकिन फिर भी वे विवि में नैक टीम को बुलाने की तैयारियों में तेजी से जुटे हुए हैं।
पहले बी प्लस फिर मिला बी ग्रेड
विवि में 2002-07 के निरीक्षण में नैक ने विवि को "बी प्लस" ग्रेड दिया था। उसके बाद 2015 में नैक टीम के आगमन के बाद विवि को बी ग्रेड मिला। अफसोस इस बात का रहा कि इस आठ साल में भी विवि अपनी श्रेणी में सुधार नहीं कर पाया। हालाँकि अब नैक ने ग्रेड में प्लस का सिस्टम खत्म कर दिया है। बताया जा रहा है कि अब यूजीसी की ओर से नैक के 7 आधार तय किए गए हैं। इसमे करिकुलम, टीचिंग-लर्निंग, रिसर्च, एक्सटेंशन, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टूडेंट सपोर्ट, गवर्नेंस, लीडरशिप, इनोवेशन बेस प्रैक्टिकल आदि शामिल हैं। उसी के आधार पर टीम विवि का निरीक्षण करेगी। ए ग्रेड मिलने पर  लगभग 30 करोड़  और बी ग्रेड प्राप्त होने पर तकरीबन 14 करोड़ का फंड ग्रेड हासिल करने वाले विश्वविद्यालयों को जारी किया जाता है।
पिछली बार क्या देखा टीम ने
नैक टीम ने पिछली बार विश्वविद्यालय का इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचिंग स्टाफ, कोर्स का निरीक्षण किया था। इस दौरान ग्रेड को लेकर विवि प्रबंधन ने लगभग 5 से 6 करोड़ रुपए खर्च किए। विश्वविद्यालय को हाईटेक दिखाने के लिए स्मार्ट क्लास, रिसर्च लैब भी बनाई गई थी। उसके बाद भी ग्रेड बी मिला इसकी वजह टीचिंग स्टाफ व विभागाध्यक्षों की कमी होना था, साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर भी नैक के मापदंड के अनुसार नहीं पाया गया था, लेकिन इस बार विवि कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र सभी कमियों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

Created On :   8 Feb 2021 3:09 PM IST

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