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युवा नौकरी मांगने नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बनें – राष्ट्रपति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने युवाओं को उद्योग व्यवसाय के छोटे-बड़े मौके का फायदा उठा करके नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनने का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं में जॉब-सीकर की जगह जॉब-गिवर बनने की सोच को किशोरावस्था से ही प्रोत्साहित करना होगा। रविवार को राष्ट्रपति ठाणे के उत्तन स्थित रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी में उद्यमशीलता के द्वारा आर्थिक लोकतंत्र विषय पर आयोजित परिषद को संबोधित किया। मौके पर राज्यपाल सी विद्यासागर राव और मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मौजूद थे। राष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मुद्रा-योजना, स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया और अनुसूचित जाति के उद्यमियों के लिए वेंचर कैपिटल फंड जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा उद्यमिता के विकास के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं के माध्यम से राज्य के युवा, सफल उद्यमी बनने में सक्षम हो सकेंगे
शोषित वर्ग से निकले सफल उद्यमी बड़ी संख्या में आ रहे आगे
राष्ट्रपति ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद बिना किसी विशेष सहायता के वंचित और शोषित वर्ग से निकले सफल उद्यमी बड़ी संख्या में आगे आ रहे हैं। युवा रिफायनरी, प्लेटफार्म बनाने, अस्पताल चलाने, होटल के व्यवसाय, फिलामेंट यार्न बनाने तक हर क्षेत्र में सक्रिय हैं। इनमें महिला उद्यमी भी शामिल हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक लोकतंत्र की दिशा में सबसे बुनियादी काम जन-धन-योजना के रूप में हुआ है। क्योंकि बैंक में खाता होना आर्थिक लोकतंत्र में भागीदारी की पहली सीढ़ी है। देश में 30 करोड़ से अधिक लोगों के नए खाते खोले हैं। इनमें 52 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने वाले लाभार्थियों के बैंक खातों में पैसा जमा होने लगा है।इस बीच राष्ट्रपति ने कहा कि परिषद में ठाणे, पालघर, मुंबई और आस-पास के क्षेत्र से नौजवान आए हैं। यह इलाका उद्यम का क्षेत्र है। यहां देश के कोने-कोने से लोग रोजगार की तलाश में आते हैं।
अभी आर्थिक समानता दूर -मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब कहा था कि देश में 50 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने कभी बैंक का मुंह नहीं देखा। तब ध्यान आया कि अभी आर्थिक समानता कितनी दूर है। केंद्र सरकार की पहल के बाद 30 करोड़ परिवार के लोगों के नए बैंक खाते खोले गए। लेकिन हमें युवाओं को भी आर्थिक अधिकारिता देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि आज देश की युवा शक्ति में ताकत है। विचारशीलता और कल्पना करने की क्षमता है। उनमें नया दृष्टिकोण है। लेकिन इनको आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की जरूरत है। मुझे लगता है कि युवाओं के लिए स्टार्ट अप, मुद्रा और कौशल्य विकास जैसे योजनाएं काफी महत्वपूर्ण हैं। इन योजनाओं का लाभ देने के लिए बैंकों के दरवाजे समाज के हर तबके के लिए खुल गए हैं। यदि इसी प्रकार से बल देकर के काम होता रहा तो आने वाले दिनों में भारत न केवल युवाओं का देश होगा बल्कि आर्थिक अधिकारिता प्राप्त युवा उद्यमियों का देश होगा।
Created On :   14 Jan 2018 6:29 PM IST