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बगैर सरकारी अनुमति के निजी कंपनी नहीं दे सकती अपनी राय, भीमा-कोरेगांव मामले में फॉरेंसिक ने दी थी रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि बिना कोर्ट के आदेश के यूएस की डिजीटल फॉरेंसिक फर्म एरसनल को भीमा-कोरेगांव के एल्गार परिषद मामले से जुड़े आरोपियों के मामले में राय देने का अधिकार नहीं है। इस फोरेंसिक फर्म ने दावा किया है कि इस मामले से जुड़े आरोपियों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में आपत्तिजनक सामग्री डाली गई थी। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को यह जानकारी हलफनामे में दी है। यह हलफनामा इस मामले से जुड़े आरोपी रोना विल्सन की याचिका के विरोध में दायर किया गया है। याचिका में विल्सन ने डिजीटल फोरेंसिक फर्म की रिपोर्ट के आधार पर खुद के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर व दायर आरोपपत्र को रद्द करने की मांग की है।
इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार ने हलफनामे में दावा किया है कि निजी फॉरेंसिक फर्म की रिपोर्ट पुलिस अथवा राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा आरोपी को लेकर दायर किए गए आरोपपत्र का हिस्सा का नहीं है। इसलिए आरोपी इस रिपोर्ट को आधार बनाकर राहत पाने का हकदार नहीं है। जांच के दौरान विल्सन के कंप्यूटर से आपत्तिजनक पत्र मिले थे। याचिका में विल्सन ने दावा किया है कि हैकर ने उनके कंप्यूटर में आपत्तिजनक पत्र डाला है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने 26 जुलाई 2021 को इस याचिका पर अगली सुनवाई रखी है।
Created On :   13 July 2021 8:35 PM IST