उत्पाती हाथियों ने ले ली बुजुर्ग की जान, ग्रामीणों में दहशत, अधिकारी करते रहे बहाने बाजी

Prodigal elephants took the life of an elderly person, terror among the villagers, officials continued to make excuses
उत्पाती हाथियों ने ले ली बुजुर्ग की जान, ग्रामीणों में दहशत, अधिकारी करते रहे बहाने बाजी
उत्पाती हाथियों ने ले ली बुजुर्ग की जान, ग्रामीणों में दहशत, अधिकारी करते रहे बहाने बाजी


डिजिटल डेस्क सिवनी  पिछले कई महीनों से नरसिंहपुर, सिवनी जिले में आतंक का पर्याय बने जंगली हाथियों का जोड़ा अब लोगों के लिए जानलेवा सिद्ध हो रहा है। रविवार की सुबह इन हाथियों ने एक बुजुर्ग की जान ले ली। अब मामले में प्रशासन पहले से मुनादी आदि का दावा कर रहा है। जबकि प्रशासन को इस साल की शुरुआत में ही इन हाथियों को पकडऩे और पालतू बनाने की अनुमति मिल गई थी लेकिन संबंधित सिर्फ मीटिंग और दूसरे बहाने बाजी में व्यस्त रहे।
ये है मामला-
छत्तीसगढ़ से हाथियों का एक जोड़ा पिछले साल छत्तीसगढ़ से भटक कर प्रदेश में आ गया था। जो मंडला के नैनपुर से होते हुए सिवनी जिले में प्रवेश कर गया था। इसके बाद हाथियों का यह जोड़ा नरंिसंहपुर जिले में प्रवेश कर गया। हाथियों के इस जोड़े ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के क्षेत्र में फसलों और कृषि उपकरणों को जमकर नुकसान पहुंचाया। अनुमान है कि यह नुकसान एक करोड़ से अधिक का है। इसके बाद हाथियों का यह जोड़ा इस साल की शुरूआत में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा की सीमा में जा घुसा था। जिसके बाद हरकत में आए अधिकारियों ने केंद्र से हाथियों को पकडऩे की गुहार लगाई। जिसकी अनुमति उन्हे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जनवरी के आखिरी सप्ताह में मिल गई थी।
कोरोना के कारण टाल दिया रेस्क्यू-
हाथियों ने विभाग के अनुमानों को धता बताते हुए एक बार फिर नरंिसहपुर की ओर रुख कर लिया था। जिसके बाद रेस्क्यू दल सामान की खरीदी में देरी का रोना रोने लगा। कोरोना को लेकर पूरे देश में हुए लॉक डाउन के बाद विभाग ने इस कार्यक्रम को ठंडे बस्ते में ही डाल दिया। यदि विभाग ने सक्रियता दिखाई होती तो एक ग्रामीण की जिंदगी आज बच गई होती।
करते रहे टालमटोल-
हाथियों को पकडऩे की अनुमति मिल जाने के बावजूद संबंधित अधिकारी महज खानापूर्ति करते रहे। अनुमति के एक पखवाड़े से अधिक वक्त के बाद फरवरी माह में 19 तारीख को विक्रम सिंह परिहार संचालक पेंच नेशनल पार्क की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन सिवनी में हुआ। जिसमें हुए फैसलों को गुप्त रखा गया। इसके बाद हाथी एक बार फिर छिंदवाड़ा से नरसिंहपुर होते हुए सिवनी में प्रवेश कर गए थे। जिसके बाद अधिकारी गदगद हो गए और दावा करने लगे थे कि हाथी वापस छत्तीसगढ़ लौट जाएंगे। इस गफलत में और देर होती रही।
इनका कहना है-
हमने हाथियों को मूवमेंट को देखते हुए पहले ही ग्रामीण इलाकों में मुनादी करा रखी थी कि ग्रामीण महुआ बीनने न जाएं। संबंधित के परिजनों को तात्कालिक मुआवजा दे दिया गया है और पीएम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया है।
गौरव मिश्रा, एसडीओ फॉरेस्ट

Created On :   12 April 2020 5:26 PM GMT

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