Seoni News: नहरों से सिंचाई के पानी को लेकर हंगामा होने के आसार

नहरों से सिंचाई के पानी को लेकर हंगामा होने के आसार
  • कलेक्ट्रेट में आज होगी जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक
  • अफसरों के अनुसार हेड क्षेत्र के किसानों द्वारा संगठित होकर नियम विरूद्ध नहर के जल द्वार खोल दिए जाते हैं।

Seoni News: रबी सिंचाई के लिए वर्ष 2025-26 के लक्ष्य और सिंचाई संचालन के दौरान किसानों को होने वाली कठिनाईयों के निराकरण के उद्देश्य से आज गुरुवार को जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक होने जा रही है। कलेक्ट्रेट में कलेक्टर संस्कृति जैन की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में जनप्रतिनिधियों के साथ ही कृषक प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। पूर्वान्ह 11 बजे से होने वाली बैठक में संजय सरोवर भीमगढ़ बांध की नहरों से टेल क्षेत्र तक पर्याप्त पानी न पहुंचने का मुद्दा गर्माने के साथ ही हंगामे के आसार भी बने हुए हैं, क्योंकि पानी न मिलने को लेकर हर साल टेल क्षेत्र के किसानों द्वारा धरना-प्रदर्शन किया जाता है।

वहीं, अब सीपेज, सिल्टिंग, कटाव व नहरों के क्षतिग्रस्त हिस्से का केन्द्रीय जल आयोग दिल्ली से स्वीकृत करोड़ों रुपए की राशि से सुधार कार्य भी कराया जाना है, जिसके चलते जल संसाधन विभाग टेल क्षेत्र के गांवों में एक पानी में पकने वाली लोकल गेहूं एवं गीदर लगवाने का प्रस्ताव भी तैयार कर रहा है।

जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री व जिला जल उपयोगिता समिति के सचिव व्हीपी चौधरी के अनुसार बैठक के एजेंडे में खरीफ सिंचाई वर्ष 2025-26 की समीक्षा, वर्ष 2025-26 के लिए रबी सिंचाई हेतु लक्ष्य निर्धारण, भीमगढ़ बांध की क्षतिग्रस्त नहरों के सुधार की प्लानिंग शामिल है। बैठक में अध्यक्ष की अनुमति से अन्य विषय पर चर्चा के साथ ही पेंच नहर का निर्माण पूर्ण कराने को लेकर भी चर्चा होगी।

दोगुना से ज्यादा हो रही सिंचाई

तिलवारा बायीं तट नहर संभाग केवलारी के कार्यपालन यंत्री पीएन नाग के अनुसार भीमगढ़ बांध की आरबीसी एवं एलबीसी नहरें लगभग 35 से 40 साल पुरानी हैं। परियोजना का सीसीए मात्र 32 हजार 610 हेक्टेयर रबी सिंचाई के लिए था। सिंचाई सिर्फ बहाव (कोलावा) से करने का प्रावधान है तथा स्थानीय गेहूं एवं चना, तिवड़ा, मसूर, अलसी, सरसों लगभग 25 से 30 प्रतिशत बुआई का प्रावधान है, जिसमें मात्र एक पलेवा दो पानी फसलों के लिए पर्याप्त होता है।

बांध सिंचाई की संपादित क्षमता में विद्युत डीजल मीटर/पंपों आदि से कमांड ऑफ कमांड में सिंचाई करने का प्रावधान नहीं है। वर्तमान में सिंचाई का रकबा 75 हजार 800 हेक्टेयर हो चुका है, जिसमें लगभग 99 प्रतिशत रकबे में किसानों द्वारा हाईब्रिड गेंहू, मक्का की बुआई की जाती है एवं अत्यधिक रसायनिक खाद्य का उपयोग किए जाने से फसल पकने के लिए कम से कम 4 से 8 पानी की आवश्यकता होती है।

हेड क्षेत्र में होती है मनमानी

अफसरों के अनुसार हेड क्षेत्र के किसानों द्वारा संगठित होकर नियम विरूद्ध नहर के जल द्वार खोल दिए जाते हैं। बड़े-बड़े अड़ावा नहरों में लगाए जाते हैं जिससे नहर क्षमता से अधिक पानी बहाव के कारण नहर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इससे टेल क्षेत्र में किसानों को समय पर पानी नही मिल पाता है।

जल संसाधन विभाग के अनुसार टेल क्षेत्र के किसानों द्वारा हर साल किए जाने वाले धरना, प्रदर्शन को देखते हुए उनकी समस्या के निराकरण के लिए केन्द्रीय जल आयोग से स्वीकृत राशि से जल्द से जल्द नहरों का सुधार कार्य प्रारंभ किया जाना है। इसके चलते टेल क्षेत्र में पलेवा एक पानी दिया जाकर लोकल गेंहू एवं गीदर जो कम समय एवं कम पानी में पक जाए प्रस्तावित किया जा रहा है। ऐसी फसल लगाने के लिए किसानों से विभाग अनुरोध भी कर रहा है।

इन गावों में एक पानी देने की तैयारी

नहरों के सुधार कार्य के चलते भीमगढ़ बांध की दायीं तट नहर अंतर्गत टेल क्षेत्र के अलोनीखापा, भादूटोला, पीपरदौन, झोला, कुम्हड़ा, बगलई, डोकररांजी, जामुनपानी, मुनगापार, खैरी, मलारी, बिनेकी, कोहका, कछारी, मैरा मैनापिपरिया में मात्र पलेवा एक पानी देने की तैयारी की गई है।

इसी तरह तिलवारा बायीं तट नहर के अंतर्गत टेल क्षेत्र के खैरी, मलारी, पुर्तरा, किमाची, देहवानी, बुधवारा, डुगंरिया, कोहका, रायखेड़ा, चांदन खेडा, तेंदुआ, सालीवाड़ा, खैररांजी, ग्वारी, केवलारी खेड़ा, बक्शी, बबरिया, छीदा, बिछुआ, खुर्सीपार, माल्हनवाड़ा में भीमगढ़ नहर अथवा केवलारी खेड़ा जलाशय (छींदा टेल जलाशय) से मात्र पलेवा एक पानी दिया जाना ही संभव बताया जा रहा है। वहीं, थांवर नदी से लगे पोंगार व सरई के किसानों को छींदा टैंक व नहर से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो पाएगा।

Created On :   18 Sept 2025 2:02 PM IST

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