Seoni News: 31 महीने में 16 हजार से ज्यादा को श्वानों ने काटा

31 महीने में 16 हजार से ज्यादा को श्वानों ने काटा
जनहित का मुद्दा : जिले में बढ़ता जा रहा आतंक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं दिख रही कवायद

Seoni News: जिले में टाइगर अथवा अन्य वन्य जीवों के हमले की घटना के बाद हर बार जनाक्रोश की स्थिति निर्मित होती है, लेकिन आवारा व पालतू श्वानों के आतंक को लेकर कोई आवाज उठाने सामने नहीं आता। जबकि श्वानों के हमले, काटने की कई घटनाएं रोजाना हो रही हैं। दैनिक भास्कर द्वारा जुटाई गई जानकारी में डॉग बाइट के हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। पिछले 31 महीने में जिले में 16 हजार 185 लोगों को श्वानों ने काटा है अथवा हमला कर नाखूनों से नोचा है।

आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 23-24 में ऐसी 5342 घटनाएं हुई थीं, जबकि वित्तीय वर्ष 24-25 में 6696 लोग श्वानों का शिकार बने थे। चालू वित्तीय वर्ष 25-26 में भी श्वानों का आतंक उसी रफ्तार से जारी है। इस साल अप्रैल से अक्टूबर तक 7 माह में 4147 लोगों को श्वानों ने काटा है या फिर झपट्टा मारकर पैरों के नाखून से घायल किया है। इतने गंभीर हालात के बावजूद न जनप्रतिनिधि कुछ करते नजर आ रहे हैं और न ही जिम्मेदार अफसर गंभीरता दिखा रहे हैं। ऐसी स्थिति अकेले सिवनी ही नहीं जिले की अन्य निकायों छपारा, बरघाट, केवलारी व लखनादौन में भी है।

बस स्टैण्ड, अस्पताल में फैला रहे दहशत

सुप्रीम कोर्ट ने विगत दिनों ही आवारा श्वानों को लेकर आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 8 हफ्ते के भीतर आवारा श्वानों को बस स्टैण्ड, अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, रेलवे स्टेशन से हटाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने श्वानों की नसबंदी, टीकाकरण के बाद शेल्टर होम भेजने के निर्देश दिए हैं। इधर, जिले में सिवनी नगर पालिका सहित सभी नगरीय निकाय हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। कहीं भी शेल्टर होम नहीं है। न ही आवारा श्वानों को पकडऩे अभियान चल रहा है और न ही उनकी नसबंदी को लेकर कोई कवायद हो रही है। सरकारी व प्राइवेट बस स्टैंड,जिला अस्पताल आदि क्षेत्रों में आवारा श्वान दशहत फैला रहे हैं।

कभी कभार होती है खानापूर्ति

सिवनी में नगर पालिका परिषद द्वारा कभी कभार आवारा श्वानों को पकडऩे की कार्रवाई की जाती है। दो-चार दिन अभियान चलाकर श्वानों को पकडऩे की खानापूर्ति कर अभियान पर विराम लग जाता है। शेल्टर होम न होने के कारण पकड़े गए श्वानों को शहर से बाहर ग्राम पंचायत क्षेत्रों अथवा जंगल में छोडक़र नगर पालिका इतिश्री कर लेती है। हालांकि इसका भी असर नहीं होता। ग्राम पंचायतों में छोड़े गए श्वान वापस शहर लौट आते हैं या फिर ग्राम पंचायतों में ही आतंक मचाने लगते हैं।

नसबंदी के नाम पर होता है खेल

सिवनी नगर पालिका ने आवारा श्वानों की संख्या पर नियंत्रण के लिए उनकी नसबंदी की कवायद भी यदा-कदा की जाती है। हालांकि इसमें भी कमीशनबाजी के खेल व आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति निर्मित होने के बाद किसी फर्म को दिया गया जिम्मा वापस ले लिया जाता है। कुछ माह पहले भी नगर पालिका ने एक प्रायवेट फर्म को श्वानों की नसबंदी का काम दिया था, लेकिन शिकायत व गफलत के आरोपों के चलते फर्म का भुगतान रोक दिया गया था और श्वानों की नसबंदी का काम बंद हो गया था।

Created On :   11 Nov 2025 1:16 PM IST

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