नवाब मलिक के समर्थन में मंत्रियों के धरने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका

Public interest litigation in High Court against ministers dharna in support of Nawab Malik
नवाब मलिक के समर्थन में मंत्रियों के धरने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका
रोक बावजूद प्रदर्शन नवाब मलिक के समर्थन में मंत्रियों के धरने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई गिरफ्तारी के विरोध में मंत्रालय के निकट राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रतिमा के सामने धरना देनेवाले महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्रियों व अन्य लोगों का मामला बांबे हाईकोर्ट पहुंच गया है। सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत पाटिल ने इसको लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। मंत्री मलिक के खिलाफ ईडी मनीलांड्रिग व माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम से कथित संबंधों की जांच कर रही है। याचिका में प्रदर्शन में शामिल हुए मंत्रियों, सांसद  सुप्रिया सुले व अन्य के खिलाफ जांच व मामला दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है। जांच रिपोर्ट कोर्ट में सौपने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है। ईडी ने मलिक को 23 फरवरी 2022 को गिरफ्तार किया था। फिलहाव वे ईडी की हिरासत में है।

याचिका के अनुसार 24 फरवरी को मलिक की गिरफ्तारी के विरोध में दिए धरने में महाविकास आघाड़ी के कई मंत्री शामिल हुए थे। जबकि इस धरने को लेकर कोई अनुमति नहीं ली गई थी। यह प्रदर्शन कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन है। जिसके तहत सार्वजनिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए बृहन्मुंबई क्षेत्र में किसी भी प्रकार के मोर्चे, धरने व  प्रदर्शन पर रोक लगाई गई है। याचिका के मुताबिक ऐसे में यदि कोई कोर्ट के इस आदेश का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। इसलिए इस धरने में शामिल राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल, स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे, जल संसाधनमंत्री जयंत पाटिल, गृहनिर्माण मंत्री जितेंद्र अव्हाण, खाद्य व नागरी आपूर्ति छगन भुजबल,पर्यटन राज्य मंत्री अदिति तटकरे, राजस्वमंत्री बालसाहब थोरात, राहत व पुनर्वास मंत्री विजय वटेट्टीवार, सार्वजनिक निर्माणकार्य मंत्री अशोक चव्हाण, खेलमंत्री सुनील केदार, टेक्सटाइल मंत्री असलम शेख, गृहराज्य मंत्री सतेज पाटिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रुपाली चाकणकर भी धरने में शामिल थी। इस प्रदर्शन में उद्योगमंत्री सुभाष देसाई व मुंबई की महापौर किशोरी पेंडणेकर ने भी शिरकत की थी। याचिका में उपमुख्यमंत्री अजित पवार को प्रतिवादी नहीं बनाया गया है लेकिन याचिका में कहा गया है कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार भी धरने में मौजूद थे। 

याचिका में दावा किया गया है कि यह प्रदर्शन पूरी तरह से अवैध था क्योंकि इसके लिए न तो अनुमति के लिए आवेदन किया गया था और न ही अनुमति ली गई थी। एक तरह से प्रदर्शनकारियों ने कानून को अपने हाथ में लिया था। संविधान की नजर में सभी नागरिक समान है। नियमानुसार यदि कोई प्रदर्शन करना चाहता है तो इसके लिए उसे अनुमति लेना जरुरी है। लेकिन प्रदर्शन में शामिल मंत्रियों व अन्य लोग अपनी ड्युटी भूल गए और बिना अनुमति के अवैध तरीके से मंत्रालय के पास धरना दिया। इसके बवाजूद इनके खिलाफ किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की है।  

 

Created On :   4 March 2022 7:16 PM IST

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