व्यक्तिगत मामलों में जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं

Public interest litigation not maintainable in individual cases
व्यक्तिगत मामलों में जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं
व्यक्तिगत मामलों में जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं



डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने पशुपालन विभाग के निदेशक आरके रोकड़े के जाति प्रमाण पत्र की जाँच कराने की माँग को लेकर दायर जनहित याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने कहा है कि व्यक्तिगत मामलों में जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। डिवीजन बैंच ने याचिकाकर्ताओं को इस मामले में सक्षम फोरम में जाने की स्वतंत्रता प्रदान की है।
यह जनहित याचिका मंडला जिले के भुआ बिछिया निवासी सामाजिक कार्यकर्ता प्रहलाद उइके और मुकेश श्रीवास ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि पशुपालन विभाग के निदेशक आरके रोकड़े धनगर जाति के हैं। वे मूल रूप से महाराष्ट्र के निवासी हैं। महाराष्ट्र में धनगर जाति अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में आती है। अधिवक्ता गोपाल सिंह बघेल ने कहा कि पशुपालन विभाग के निदेशक ने मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र बनवाकर शासकीय सेवा में आरक्षण का लाभ लिया है। याचिका में जाति प्रमाण पत्र की जाँच कराने की माँग की गई। राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने तर्क दिया कि व्यक्तिगत मामलों की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में नहीं की जा सकती है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने जनहित याचिका खारिज कर दी है।

 

 

Created On :   10 July 2021 10:15 PM IST

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