22 वर्ष की उम्र में पांच किताबों का प्रकाशन, चौदह प्रकाशन के साथ अनुबंध- कटनी के युवा ने बनाई दुनिया में पहचान

Publication of five books at the age of 22, contract with fourteen publications
22 वर्ष की उम्र में पांच किताबों का प्रकाशन, चौदह प्रकाशन के साथ अनुबंध- कटनी के युवा ने बनाई दुनिया में पहचान
22 वर्ष की उम्र में पांच किताबों का प्रकाशन, चौदह प्रकाशन के साथ अनुबंध- कटनी के युवा ने बनाई दुनिया में पहचान

डिजिटल डेस्क बाकल । होनहार बिरवान के होत चिकने पात की बात उस युवा लेखक पर सटीक बैठती है। जिसनें 22 वर्ष की उम्र में ही लेखनी के दम पर इंटरनेशनल मंच में पहचान बनाते हुए परिवार के साथ उस शासकीय और निजी स्कूलों का नाम रोशन किया है। जहां आज भी शिक्षकों के लिए यह सेवा कार्य है, तो विद्यार्थियों के लिए जुनून है। युवा लेखक कुमार अरविंद  के इस ख्याति पर महाकौशल के दो जिले जबलपुर और कटनी का नाम फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा है। कुमार अरविंद उन लेखकों में से हैं। जिनकी पकड़ हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी विषय में भी अच्छी तरह से है। जिसके चलते बाजार में दोनों भाषाओं में इनकी पुस्तक को सिविल सेवा या फिर अन्य प्रतियोगिता की तैयारी करने वाले विद्यार्थी खास तवज्जो दे रहे हैं।
सरकारी स्कूल से शुरुआत
इसकी शुरुआत सरकारी स्कूल से ही हो गई थी। बहोरीबंद विकासखण्ड के बाकल शासकीय स्कूल में इन्होंने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद हाई और हायर सेकण्ड्री की शिक्षा सरस्वती स्कूल कटनी में ली। इसके बाद आगे की पढ़ाई इनकी जबलपुर में हुई। युवा लेखक के पिता  जीपी यादव की भी यादें उसी शासकीय बाकल स्कूल से जुड़ी हैं। जहां से सहायक शिक्षक के पद से शासकीय सेवाएं की शुरुआत करते हुए पीएसएम कॉलेज जबलपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
बचपन में ही लेखन का शौक
युवा लेखक के पिता बताते हैं कि प्राथमिक स्कूल में अध्ययनरत के दौरान ही अरविंद की लेखन क्षेत्र में रुचि रही। कविता और कहानी लिखने के साथ-साथ जब कॉलेज में अध्ययन करने के लिए पहुंचे तो यहां पर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ लेखन का काम करने लगे। यह लेखन उन विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित हुई। जो शासकीय सेवा में जाने के लिए प्रतियोगिता की तैयारी कर रहे थे। हिन्दी में परास्नातक करने के साथ-साथ लेखन का काम युवा को कई जगहों पर पहचान दिलाया है।
कठिन परिश्रम का प्रतिफल
युवा कहते हैं कि कठिन परिश्रम का प्रतिफल सभी को मिलता है। कोई भी कार्य चाहे वह बड़ा हो या छोटा यह अनेक व्यक्तियों द्वारा किए गए कठिन परिश्रम का प्रतिफल होता है। इसके लिए वे अपनी मां श्रीमती सरोज यादव और पिता जीपी यादव को नमन करते हुए कहते हैं कि इन्होंने लेखन के बीज जीवन के शुरुआती वर्षों में ही डाल दिया था। इस दौरान कई बार जब हताशा से घिर गया था तब पिता मेरा समर्थन देने के लिए मेरे साथ खड़े रहे। इसका श्रेय वे अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी दे रहे हैं।
 

Created On :   25 Nov 2019 5:55 PM IST

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