कांग्रेस ने केंद्र पर दागे 11 सवाल, कहा- राफेल एशिया का सबसे बड़ा घोटाला

Rafael is Asias biggest scam, Congress asked 11 questions from center Government
कांग्रेस ने केंद्र पर दागे 11 सवाल, कहा- राफेल एशिया का सबसे बड़ा घोटाला
कांग्रेस ने केंद्र पर दागे 11 सवाल, कहा- राफेल एशिया का सबसे बड़ा घोटाला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राफेल मामले में कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर 11 सवाल दागे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमाेद तिवारी ने सवालों के दौरान कहा कि राफेल घोटाला तो एशिया का सबसे बड़ा घोटाला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिस्टर गुमराह नाम दिया, साथ ही कहा कि हर किसी को गुमराह करने का काम किया जा रहा है। राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट को जो निर्णय आया है, वह झूठ की बुनियाद पर खड़ा है। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि राफेल को लेकर जल्द ही सरकार की असलियत सामने आएगी। सरकार को इस मामले की जांच करानी होगी। चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि राफेल को लेकर भय क्यों है। यदि भ्रष्टाचार नहीं किया गया है, तो मामले की जांच क्यों नहीं करायी जाती है। कांग्रेस ने फिलहाल किसी पर मामला दर्ज करने की बजाय केवल जांच की ही मांग की है।

बुधवार को तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में जाने से यह मामला हल नहीं हो पाया है। कोर्ट के निर्णय का विरोध नहीं किया जा सकता है। लेकिन सरकार ने कोर्ट को पूरी तरह से गुमराह करने का काम किया है। कोर्ट के निर्णय से भी यह साफ होता है। कोर्ट कहता है कि जांच व खरीदी प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं है। जबकि सरकार की ओर से कोर्ट के निर्णय पर शपथपत्र देकर कहना पड़ रहा है कि कुछ प्रिंटिंग मिस्टेक का अलग आशय लगाया गया है।

असल में कोर्ट कोई जांच एजेंसी नहीं है। लिहाजा राफेल के मामले में जांच के बिना कोर्ट में जाने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि अयोध्या का मंदिर मामला टाइटल विवाद का है। राफेल का विवाद घोटाला से जुड़ा है। केवल एक उद्योगपति को राफेल डील के माध्यम से लाभ पहुंचाया गया है। राफेल खरीदी से देश को 41,205 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे, प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे, सचिव अतुल कोटेचा,उमाकांत अग्निहोत्री, विशाल मुत्तेमवार, अभिजीत वंजारी, रमण पैगवार उपस्थित थे।

कांग्रेस के 11 सवाल
- सुप्रीम कोर्ट ने कैग की रिपोर्ट,पीएसी द्वारा जांच व कैग रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का उल्लेख किया है। असल में कैग की कोई रिपोर्ट ही नहीं आयी है। पीएसी के चेयरमैन मलिकार्जुन खडगे ने भी यही कहा है। क्या मोदी सरकार कोर्ट में खेल नहीं खेल रही है?
- कोर्ट ने रिकार्ड किया है कि रिलायंस के साथ डसाल्ट एविएशन का 2012 से अनुबंध चल रहा था। खरीदी संबंधी रिलायंस कंपनी का गठन 24 अप्रैल 2015 को हुआ। और सरकार ने उससे खरीदी की घोषणा 14 दिन पहले यानी 10 अप्रैल 2015 को कर दी।
-आफसेट पार्टनर चुनने के बारे में फ्रेंच के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। फिर सरकार की ओर से क्याें बताया गया कि ओलांद का बयान खारिज कर दिया गया है।
-सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एचएएल की किसी विशेष भूमिका पर विचार नहीं किया गया। यह सही नहीं है।
-याचिकाकर्ताओं का यह दावा रिकार्ड किया कि आईजीए के तहत एक अनिवार्य सोवरेन गारंटी की जगह फ्रेंच सरकार ने कच्चा दस्तावेज, लैटर आफ कंफर्ट दिया है। ऐसा क्यों
-जहाज खरीदी की घोषणा के एक माह बाद डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल डीएसी की अनुमति मिलने के पीछे मंशा है?
-कांग्रेस ने पहले भी घोटाला के विरोध में आवाज उठायी थी फिर कोर्ट को क्यों कहना पड़ा है कि पहले किसी ने आपति दर्ज नहीं की। क्या सरकार ने कोर्ट को गुमराह नहीं किया।
-एयरफोर्स चीफ ने कोर्ट को कोई दस्तावेज नहीं दिए,हलफनामा नहीं दिया। फिर कैसे कह सकते हैं कि एयरफोर्स चीफ ने मूल्य बताने पर आपति दर्ज की है।
-लड़ाकू जहाजों की संख्या 126 से घटाकर 36 करने का कारण क्या था।
-लड़ाकू जहाज खरीदी की घोषणा के बाद डीपीसी 2013 में बदलाव संबंधी शर्त क्यों डाली गई।
-एक जहाज की कीमत 526 करोड़ रुपये से 1670 करोड़ कैसे की गई। 

Created On :   19 Dec 2018 12:33 PM GMT

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