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रामनगर गोली कांड: पुलिस थाने में सशस्त्र हमले पर 48 आरोपियों को 7-7 वर्ष की कठोर कैद
डिजिटल डेस्क सतना। रामनगर थाने में सशस्त्र हमला, आगजनी, बलवा , सरकारी काम में बाधा और संपत्ति को क्षति पहुंचाने की 20 वर्ष पुरानी एक वारदात के आरोप प्रमाणित पाए जाने पर अमरपाटन की एडीशनल सेशन कोर्ट के जज अजीत कुमार तिर्की ने 48 आरोपियों को 7-7 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। सभी आरोपियों को 4-4 हजार के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है। अभियुक्तों में 5 महिलाएं भी शामिल हैं। इन सभी को बुधवार को सेंट्रल जेल भेज दिया गया।
5 महिलाओं समेत सभी भेजे गए सेंट्रल जेल -
कठोर कैद की सजा से दंडित किए गए आरोपियों में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य एवं जबलपुर की जिला भाजपा ( ग्रामीण) के प्रभारी अरुण द्विवेदी और उनके भाई प्रदीप द्विवेदी तथा जिला भाजपा सतना के महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष शिवा मिश्रा भी शामिल हैं। आईपीसी की दफा 307, 333, 435, 332, 342, 427, 149 और लोक संपत्ति नुकसानी निवारण अधिनियम की धारा-4 के तहत गुनहगार पाए गए अन्य आरोपियों में गोकुल कोल, साबिर, लक्ष्मीकांत पांडेय, राजनारायण गुप्ता, मुमताज , अनिल विश्वकर्मा, संतोष चौरसिया, रयूब, सतीश गुप्ता, योगेश द्विवेदी, गुरु प्रसाद द्विवेदी, मुन्ना लाल कोल, प्रेमलाल गुप्ता, हसीनुद्दीन, किरण कुमार चौरसिया, अमृत लाल पयासी, कमलेश कोल, संजय चौरसिया, हसन शाह, धनुषधारी कुशवाहा, श्यामजी चौबे, मिथलेश चौबे, फोलई साकेत, महेंद्र शर्मा, इम्त्याज खां, सज्जन खां, जीतेन्द्र चौरसिया, संतोष वर्मा, छेदी मुसलमान, उमाकांत गुप्ता, छोटेलाल चौरसिया, सत्येंद्र शर्मा, जयपाल पटेल, रामकुमार चौरसिया, बाबूशर्मा, लाला शर्मा, शहीउद्दीन सिद्दकी, अशोक गुप्ता, बृजेश द्विवेदी, प्रकाश गुप्ता, रामदयाल अवधिया, रामरती कोल, बुटइया बाई, सुभद्री बाई और रामबाई कोल शामिल हैं।
20 वर्ष 2 माह बाद आया फैसला-
एजीपी उमेश शर्मा ने बताया कि वर्ष 2002 की 2 सितंबर को आरोपियों के खिलाफ रामनगर थाने में अपराध दर्ज किया गया था। लगभग 20 वर्ष 2 माह बाद सेशन कोर्ट का फैसला 2 नवंबर को आया। कोर्ट में पुलिस ने 30 नवंबर 2002 में चार्जशीट पेश की थी। अभियोजन की गवाही 18 जनवरी 2007 से शुरु हुई थी। एक सितंबर 2002 को महेश कोल नामक युवक की मृत्यु पर पीएम करने में विलंब के कारण आक्रोशित भीड़ ने 2 सितंबर 2002 को रामनगर थाने का घेराव कर दिया था। पीएम में विलंब के लिए दोषी डाक्टर अभिमन्यु सिंह को निलंबित कर दिया गया था,लेकिन प्रदर्शनकारी डाक्टर को भीड़ के हवाले करने की मांग पर अड़े थे। बात बिगड़ी तो भीड़ ने चैनल गेट को बंद कर थाना घेर लिया। मौके पर तबके कलेक्टर एसएन मिश्रा और एसपी राजाबाबू सिंह भी पहुंच गए थे। हालात को नियंत्रित करने के लिए तत्तकालीन एसडीएम बीबी श्रीवास्तव ने बल प्रयोग करने की चेतावनी दी तो उग्र भीड़ ने पथराव शुरु कर दिया।
कलेक्टर-एसपी समेत घायल हुए थे 26 शासकीय सेवक-
हमले में कलेक्टर और एसपी समेत 26 शासकीय सेवक घायल हुए तो जवाब में पुलिस ने लाठी चार्ज कर दी। भीड़ ने थाने में आगजनी की और शासकीय वाहन तोड़ दिए अंतत: पुलिस ने एसडीएम बीबी श्रीवास्तव ने भीड़ को हटने का निर्देश दिया न हटने पर बल प्रयोग की चेतावनी दी। भीड़ ने कलेक्टर एसपी के वाहन पर पथराव और तोडफ़ोड़ शुरु कर दिया। कलेक्टर एसपी को चोट आई। पुलिस ने 5 चक्र हवाई फायर और फिर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए 6 राउंड अन्य फायर किए जिसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी।
Created On :   2 Nov 2022 9:49 PM IST