शिकायत के बाद जाँच में सामने आई हकीकत, कलेक्टर के आदेश पर फिर सरकारी मद में दर्ज, स्टेनो ने किया पासवर्ड का इस्तेमाल

Reality revealed in investigation after complaint, then registered in government item
शिकायत के बाद जाँच में सामने आई हकीकत, कलेक्टर के आदेश पर फिर सरकारी मद में दर्ज, स्टेनो ने किया पासवर्ड का इस्तेमाल
सीलिंग की साढ़े 13 एकड़ जमीन निजी में हुई तब्दील शिकायत के बाद जाँच में सामने आई हकीकत, कलेक्टर के आदेश पर फिर सरकारी मद में दर्ज, स्टेनो ने किया पासवर्ड का इस्तेमाल

डिजिटल डेस्क जबलपुर । सीलिंग की साढ़े 13 एकड़ जमीन को रिकॉर्ड में निजी भूमि कर दिया गया, वह भी कलेक्टर की लॉग-इन आईडी और पासवर्ड से..! हैरानी वाली बात यह है कि दो साल तक किसी को भनक तक नहीं लगी। मार्च 2021 को शिकायत हुई और फिर जाँच पड़ताल में परतें खुलने लगीं। मामला आगे बढ़ा तो खुद कलेक्टर हैरान हो गए। आखिरकार, कलेक्टर कोर्ट के आदेश के बाद अब वही साढ़े 13 एकड़ जमीन वापस सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कराई गई। नायब नायब तहसीलदार और स्टेनो को हिदायत दी गई है।  प्रकरण के अनुसार कटंगी के ग्राम दोनी में स्थित खसरा नंबर 101 के रकबा 5.49 हेक्टेयर भूमि शंभू प्रसाद पिता भगवानदीन तिवारी के नाम दर्ज करने का आदेश हुआ था। भूमि रिकॉर्ड में सरकारी दर्ज थी इसलिये इसमें कलेक्टर के अनुमोदन की जरूरत थी। जमीन में नायब तहसीलदार ने निजी भूमि दर्ज करने के आदेश दिये थे इसके बाद प्रकरण कलेक्टर की स्टेनो शाखा में पहुँचा जिसमें कलेक्टर की आईडी पासवर्ड का उपयोग कर जमीन के रिकॉर्ड दुरुस्त करने का अनुमोदन कर दिया गया। गौरतलब है कि जमीन में मद परिवर्तन के मामले अक्सर आते रहते हैं, जिनमें नियम-कायदों की अनदेखी की जाती है। इस प्रकरण से पूरा प्रशासनिक अमला सकते में है।
स्टेनो का तर्क-मौखिक आदेश करते हैं कलेक्टर
मामले में राइट टाउन निवासी आशुतोष दुबे द्वारा शिकायत की गई, जिसके बाद जाँच शुरू हुई और मामला कलेक्टर न्यायालय में पहुँचा। सुनवाई के दौरान स्टेनो ने बताया कि कई बार कलेक्टर मौखिक, एसएमएस या फिर पक्षकार के समक्ष ही आदेश करने कहते हैं, इसलिये उनके आदेश के बाद ही उनकी आईडी पासवर्ड का उपयोग किया गया। इस पर कहा गया कि मौखिक आदेश के बाद लिखित आदेश भी लिया जाता है, ताकि उसे रिकॉर्ड में रखा जा सके। इस मामले में लेकिन कोई लिखित आदेश अभी तक नहीं मिला है।  
कलेक्टर ने कहा- होगी कार्रवाई
कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने इस मामले में कहा कि यह भूमि शासकीय थी इसलिये विवेचना और दस्तावेजों की जाँच किये बगैर कैसे आदेश दिये गये। वहीं स्टेनो टू कलेक्टर कम्प्यूटर ऑपरेटर अनिल राजन को चेतावनी दी कि ऑनलाइन अभिलेख वेब जीआईएस में शासकीय भूमि दर्ज के सुधार के लिये आईडी एवं पासवर्ड का उपयोग न्यायालय कलेक्टर के आदेश के बाद ही किया जाये। अन्यथा यह माना जायेगा कि शासकीय भूमि को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास किया गया और उन पर वैधानिक कार्रवाई की जायेगी। आदेश में कहा गया है कि नायब तहसीलदार द्वारा पर्याप्त विवेचना किये बिना आदेश पारित किया गया यह सही नहीं, दोबारा ऐसी गलती न हो। वहीं इस मामले में भूमि को फिर से सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करने के आदेश दिये गये। 

Created On :   13 Sept 2021 5:05 PM IST

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