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राजस्व वसूली में जबलपुर फिसड्डी , 10 करोड़ के लक्ष्य में से सिर्फ डेढ़ करोड़ वसूले

डिजिटल डेस्क जबलपुर। प्रदेश के चार महनगरों में से एक जबलपुर के प्रशासनिक अमले ने राजस्व वसूली के लिए टारगेट तो किसी बड़े शहर के हिसाब से तय कर लिया, लेकिन इसे पूरा करने में अब पसीने छूट रहे हैं। आलम यह है कि दमोह व खरगौन जैसे कई छोटे जिले राजस्व वसूली के मामले में जबलपुर से काफी आगे हैं।
पता चला है कि दीवाली के दूसरे दिन यानि 20 अक्टूबर तक जिले के दोनों ही कोषालय में तकरीबन 11 करोड़ 80 लाख रुपए ही राजस्व वसूली के रुप में जमा हो पाए हैं। वहीं शहर के पड़ोसी जिले दमोह में 19 करोड़ 17 लाख रुपए की वसूली की जा चुकी है। इसके साथ ही खरगौन में 16 करोड़ 65 हजार रुपए की आय राजस्व के रुप में ही हुई है। हालांकि, सबसे ज्यादा वसूली इंदौर में हुई है, जहां 20 करोड़ 88 लाख रुपए राजस्व के रुप में जिला एवं सिटी ट्रेजरी में जमा हुए हैं।
बता दें कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए जिले में राजस्व वसूली का लक्ष्य 75 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अप्रैल से कवायद शुरू हुई और अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक साढ़े 11 करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली ही की जा सकी है।
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अप्रैल से शुरू होने वाली राजस्व वसूली की शुरूआत आम तौर पर हर बार की तरह धीमी ही रही है। वसूली के आंकड़ों में एकाएक बढ़ोत्तरी की उम्मीद तक की जा रही थी जब प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया ने शहर आकर अधिकारियों को सुधार लाने की हिदायत दी थी। आला कमान की समझाइश के बाद अधिकारी हरकत में भी आए और वसूली की धीमी चाल को सरपट दौड़ाने की कोशिश में जुट गए। कुछ अधिकारियों ने तो बेहतर प्रदर्शन करते हुए वसूली बढ़ाने के लिए ताबड़तोड़ नोटिस भी भेजे, लेकिन आधा साल बीतने के बाद भी निर्धारित लक्ष्य के आधे आंकड़े तक भी नहीं पहुंचा जा सका।
हर बैठक में कलेक्टर देते हैं चेतावनी-
राजस्व वसूली के लिए बाकायदा एक्शन प्लान तैयार करते हुए कलेक्टर महेशचन्द्र चौधरी ने समय-समय पर बैठकें आयोजित कर अधिकारियों को निर्देशित भी किया। इन निर्देशों का कितना और क्या असर पड़ा, यह शासन के ही आंकड़े बता रहे हैं। हालांकि वसूली को लेकर अभियान निरंतर चलाया जा रहा है। अब ये देखना बाकी है कि अभियान के दौरान अधिकारी कितनी सजगता और मुस्तैदी के साथ अपने क्षेत्र में भू-राजस्व एकत्र करते हैं।
सीएस की हिदायत भी बेअसर-
राजस्व वसूली से लेकर रेवेन्यू के पेंडिंग पड़े मामलों को लेकर प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया यानी चीफ सेक्रेटरी बीपी सिंह ने भी जिले के अपने प्रवास के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को हिदायत दी थी। सीएस ने कहा था कि लंबित प्रकरणों के मामलों के अविलंब निपटारों के साथ-साथ वसूली की ओर ध्यान केन्द्रित किया जाए। इसके लिए अधिकारी बकायादारों की सूची तैयार कर जमीनी स्तर पर जाकर वसूली करें। बावजूद इसके वसूली के मामले में सीएस की हिदायत का कितना असर हुआ है यह आंकड़े बता रहे हैं। जबकि इसी माह 27 अक्टूबर को संभाग स्तरीय समीक्षा की जानी है, जिसमें जिले में रेवेन्यू से हुई आय का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया जाना है। ज्ञात हो कि इस संबंध में बीते दिनों सीएस ने कलेक्टर को एक पत्र लिखकर वसूली में तेजी लाने को कहा था।
Created On :   21 Oct 2017 1:37 PM IST