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सामाजिक हित में यौन उत्पीड़न के आरोपों को राहत देने से इंकार, निचली अदालत ने सुनाई है 10 साल की सजा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सामाजिक हित के मद्देनजर एक आठ साल के बच्चे का यौन उत्पीड़न करनेवाले आरोपी को सुनाई गई दस साल के कारावास की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। विशेष अदालत ने अगस्त 2021 को यह सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ आरोपी अकिल मनियार ने हाईकोर्ट में आवेदन कर इस सजा को निलंबित करने की मांग की थी और जमानत देने का आग्रह किया था।
न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई ने मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपी पर आठ साल के बच्चे को गेम सिखाने के नाम पर इमारत की छत पर ले जाकर उसका यौन उत्पीड़न करने व उसे धमकाने का आरोप है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 377 व पाक्सो कानून की धारा 3,4,5 व 6 के तहत मामला दर्ज किया है।
न्यायामूर्ति ने कहा कि मामले से जुड़े सबूत प्रथम दृष्टया दर्शाते हैं कि आरोपी ने नाबालिग बच्चे का यौन उत्पीड़न किया है। इसलिए आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले व सामाजिक हित को देखते हुए उसे सुनवाई गई सजा को निलंबित नहीं किया जा सकता है। इस तरह से न्यायमूर्ति ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया और उसके आवेदन को खारिज कर दिया।
Created On :   22 Oct 2021 9:07 PM IST