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गलतफहमी से नहीं हो सकते 8 साल तक किसी के साथ संबंध, रेप के आरोपी को अग्रिम जमानत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। यदि आरोपी व पीडिता के संबंध लगातार आठ वर्षों तक जारी रहते हैं तो यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि संबंध गलतफहमी के चलते बने थे। बांबे हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के एक आरोपी को अग्रिम जमानत प्रदान करते हुए यह बात कही है। पीडिता ने आरोपी के खिलाफ नाशिक के उपनगर पुलिस स्टेशन में साल 2019 में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने पीड़िता की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म व एट्रासिटी कानून की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। चूंकि निचली अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसलिए आरोपी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था। हालांकि कोर्ट ने आरोपी को अंतरिम राहत प्रदान की थी।
न्यायमूर्ती एस.एस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने इस मामले को लेकर गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में आरोपी व पीड़िता के बीच लगातार आठ सालों तक संबंध जारी रहे। इसलिए यह निष्कर्ष निकालना कठिन है कि आरोपी व पीड़िता के संबंध तथ्यों की गलतफहमी के चलते बने थे। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पहलू को अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ को बताया गया कि आरोपी व पीड़िता का एक स्कूल में परिचय हुआ था। पहले से शादीसुदा पीड़िता वहां क्लर्क के रुप में काम करती थी। इस दौरान आरोपी ने उससे कहा कि वह उससे विवाह करेगा। इसलिए पीड़िता अपने पति से अलग हो गई और आरोपी के साथ रहने लगी। आरोपी ने पीड़िता को आश्वासन दिया था कि वह उससे विवाह करेगा। लेकिन बाद में वह अपने वादे से मुकर गया। पीड़िता के वकील ने कहा कि आरोपी ने पीड़िता की सहमति के बिना संबंध बनाए है। इसके बाद दूसरी महिला से विवाह कर लिया है। इस बीच पीड़िता को गर्भपात भी कराना पड़ा।
सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज मोहिते ने कहा कि यह पूरा मामला कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। मेरे मुवक्किल व पीड़िता के बीच व्यवसायिक विवाद था। पहले दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया गया था। बाद में पुलिस को दिए गए पुरक बयान में पीड़िता ने आरोपी पर दुष्कर्म व भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाया जो की विश्वसनीय नहीं है। मेरे मुवक्किल व पीड़िता के बीच लगातार आठ सालों से संबंध थे। उन्होंने गर्भपात के आरोपों का खंडन किया। इसलिए मेरे मुवक्किल को जमानत मिलनी चाहिए। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि आरोपी राहत पाने का हकदार है। इसलिए उसे सशर्त अग्रिम जमानत प्रदान की जाती है। लेकिन वह मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड न करे। इसके साथ ही मुकदमे की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहे। वह अपना पासपोर्ट न्यायाधीश के पास जमा करे।
Created On :   7 Oct 2021 7:08 PM IST