हाईकोर्ट ने मेडिकल पीजी प्रवेश पर रोक हटाई, सिडको के फ्लैट की रकम जमा करने हाईकोर्ट से मिली राहत

Relief from High Court for depositing the amount of CIDCOs flat
हाईकोर्ट ने मेडिकल पीजी प्रवेश पर रोक हटाई, सिडको के फ्लैट की रकम जमा करने हाईकोर्ट से मिली राहत
हाईकोर्ट ने मेडिकल पीजी प्रवेश पर रोक हटाई, सिडको के फ्लैट की रकम जमा करने हाईकोर्ट से मिली राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल के स्नातकोत्तर (पीजी) डिग्री कोर्स में प्रवेश पर लगाई गई रोक को हटा दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ग्रामीण इलाके में काम करने वाले याचिकाकर्ता डॉक्टर को सरकार के शासनादेश के तहत अतिरिक्त अंक देने को कहा है। सरकार ने इससे पहले ग्रामीण इलाके में काम करने वाले डॉक्टर की सिर्फ तीन साल की सेवा पर विचार करने को कहा था। जबकि याचिकाकर्ता डॉक्टर अविनाश भुटे ने सात साल ग्रामीण इलाके में सेवा दी थी। हाईकोर्ट ने पिछले दिनों पीजी के एडमिशन पर अंतरिम रोक लगाई थी। जिसे अब हाईकोर्ट ने हटा दिया है। सरकार ग्रामीण, आदिवासी व दुर्गम इलाके में काम करने वाले डॉक्टरो को नीट परीक्षा में मिले अंको से 30 प्रतिशत अतिरिक्त अंक देती हैं। राज्य सरकार डॉक्टर भुटे के मामले को 19 मार्च 2019 व 26 मार्च 2020 के शासनादेश के हिसाब से नहीं देख रही थी। इसलिए डॉक्टर भुटे ने अधिवक्ता माधव थोरात के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति एससी गुप्ते के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सहायक सरकारी वकील रीना सालुंखे ने कहा कि सर्विस कोटा के छात्रों के अतिरिक्त अंक के लिए सिर्फ उनकी तीन साल की सेवा पर ही विचार किया जाएगा। इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि सरकारी वकील जो कह रही है उसका सरकार के शासनादेश में उल्लेख नहीं है। इस लिए इस पर विचार नहीं किया जा सकता। इस तरह से न्यायमूर्ति ने याचिकाकर्ता को राहत दी। 
 

सिडको के फ्लैट की रकम जमा करने हाईकोर्ट से मिली राहत

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोरोना के चलते सिटी एंड इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (सिडको) की ओर से आवंटित फ्लैट से जुड़ी रकम के भुगतान को लेकर परेशान एक दिव्यांग को राहत दी है। हाईकोर्ट ने मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि कोरोना के कारण याचिकाकर्ता (नितिन पाटिल) एक असामान्य परिस्थिति का सामना कर रहा है। अदालत ने कहा कि मुंबई व नई मुंबई इलाका रेड जोन में आने के चलते यहां लोगों की आवाजाही बंद है। इस परिस्थिति को देखते हुए पाटिल को फ्लैट के भुगतान से जुड़ी सात लाख रुपये 64 हजार 974 रुपये की रकम का भुगतान करने के लिए 30 जून 2020 तक का समय दिया जाता है। तब तक सिडको पाटिल के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न करे। पाटिल को पहले यह रकम सिडको के पास 8 मई 2020 तक जमा करनी थी। कोरोना के चलते घोषित लॉकडाउन के कारण उसे बकाया रकम का इंतजाम करने में परेशानी हो रही थी। लिहाज उसने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। 
 
याचिका के मुताबिक पाटिल को 5 दिसंबर 2019 को दिव्यांग कोटे से नई मुंबई में एक फ्लैट आवंटित किया गया था। किश्तों में इस रकम का भुगतान करना था। उसे आठ मई को सात लाख 64 हजार 974 रुपये सिडको को भुगतना करना था। इस रकम के भुगतान के लिए उसे और समय दिया जाए इस मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। न्यायमूर्ति एस सी गुप्ते के सामने पाटिल की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सिडको के वकील ने याचिकाकर्ता को अतिरिक्त समय देने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को अपने बकाया भुगतान के बारे में पहले से जानकारी थी। जबकि पाटिल के वकील ने कहा कि कोरोना के चलते पैसे का इंतजाम करने में उनके मुवक्किल को कठिनाई हो रही हैं। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने मामले में मानवतावादी रुख अपनाते हुए याचिकाकर्ता को रकम का भुगतान करने के लिए 30 जून तक का समय दिया। न्यायमूर्ति ने कहा कि यदि वह 30 जून तक रकम का भुगतान नहीं कर पाता है तो सिडको मामले में कानून के हिसाब से कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। 
 

Created On :   7 May 2020 6:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story