20 साल पुरानी बर्खास्तगी पर तीसरी याचिका पर राहत न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग

Relief on third petition on 20-year-old dismissal misuse of judicial process
20 साल पुरानी बर्खास्तगी पर तीसरी याचिका पर राहत न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग
20 साल पुरानी बर्खास्तगी पर तीसरी याचिका पर राहत न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग

सुप्रीम कोर्ट ने मप्र हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक, राज्य शासन एवं अन्य को नोटिस
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाय चंद्रचूड और जस्टिस एमआर शाह की डिवीजन बैंच ने कैमोर नगर पंचायत के एक कर्मचारी को मप्र हाईकोर्ट द्वारा 20 साल पुरानी बर्खास्तगी पर तीसरी याचिका पर राहत दिए जाने पर आश्चर्य जताया है। डिवीजन बैंच ने इस निर्णय को न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए मप्र हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही राज्य शासन एवं अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। नगर पंचायत कैमोर के एक कर्मचारी को वर्ष 1990 में बर्खास्त कर दिया गया था। कर्मचारी ने पहली बार 1991 में याचिका दायर की थी। मप्र हाईकोर्ट ने पहली याचिका 1994 में खारिज कर दी थी। इसके बाद कर्मचारी ने वर्ष 2008 में हाईकोर्ट में फिर से याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने कर्मचारी के अभ्यावेदन का निराकरण करने का आदेश दिया था। नगर पंचायत ने कर्मचारी का अभ्यावेदन निरस्त कर दिया। इसके बाद कर्मचारी ने 2010 में हाईकोर्ट में तीसरी याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 में 20 साल पुरानी बर्खास्तगी को निरस्त करते हुए नगर पंचायत पर 50 हजार रुपए की कॉस्ट लगा दी। नगर पंचायत ने दी आदेश को चुनौती 
नगर पंचायत कैमोर द्वारा मप्र हाईकोर्ट के आदेश को विशेष अनुमति याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल पुरानी बर्खास्तगी पर तीसरी याचिका पर राहत दिए जाने को न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए मप्र हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। 

Created On :   14 May 2021 5:49 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story