वेतन वसूली पर रोक - सेवानिवृत्ति के बाद 6 माह की सेवा देनेवाले रजिस्ट्रार को राहत

Relief to the registrar who has served 6 months after retirement
वेतन वसूली पर रोक - सेवानिवृत्ति के बाद 6 माह की सेवा देनेवाले रजिस्ट्रार को राहत
हाईकोर्ट वेतन वसूली पर रोक - सेवानिवृत्ति के बाद 6 माह की सेवा देनेवाले रजिस्ट्रार को राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति के बाद कोरोना काल में 6 माह की सेवा देनेवाले रजिस्ट्रार के वेतन वसूली पर रोक लगा दी है। पूर्व रजिस्ट्रार दिनेश हेगड़े ने वेतन वसूली को लेकर राज्य सरकार की ओर से जारी की गई नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला व न्यायमूर्ति एसवी मारने की खंडपीठ के सामने हेगड़े की याचिका पर सुनवाई हुई। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि कोरोना के चलते पैदा हुई आसाधरण परिस्थितियों के बीच मजिस्ट्रेट कोर्ट से रजिस्ट्रार पद सेवानिवृत्ति के बाद 16 जून 2020 को दिनेश हेगड़े के 6 माह के सेवा विस्तार की सिफारिस की गई थी। चूंकि सरकार इस प्रस्ताव पर निर्णय लेने की बजाय उस पर बैठी रही लेकिन हेगड़े ने 6 माह तक अपना काम जारी रखा। इसलिए अब याचिकाकर्ता (हेगड़े) से वेतन की वसूली नहीं की जा सकती है। खंडपीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता को 6 माह के वेतन का भुगतान कर दिया गया है  अब उससे वेतन की वूसली नहीं की जा सकती है यदि वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो वह उसे तीन महीने में भुगतान किया जाए। 

इससे पहले सरकारी वकील ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि 17 दिसंबर 2016 के शासनादेश के तहत सेवानिवृत्ति कर्मचारी के सेवा विस्तार पर रोक लगाई गई है। ऐसे में यदि किसी को सेवानिवृत्ति के बाद सेवा विस्तार दिया जाता है तो इससे गलत मिसाल बनेगी। इस मामले में राज्य सरकार की मंजूरी के बिना सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है। सरकार ने याचिकाकर्ता के सेवा विस्तार को 3 मार्च 2021 को खारिज कर दिया है। इसलिए याचिकाकर्ता से अब वेतन की वूसली की जाएगी। 

सरकारी वकील की दलीलों व याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि चीफ मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट ने सबसे पहले हेगडे के सेवा विस्तार की सिफारिस की थी। जिसे साल 2020 में हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने मंजूरी प्रदान करते हुए अंतिम निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार के पास भेज दिया था। किंतु हेगड़े के सेवा विस्तार के प्रस्ताव पर निर्णय लेने की बजाय राज्य सरकार उस पर बैठी रही। लेकिन इस दौरान हेगड़े ने अपने 6 माह का जब सेवा विस्तार पूरा कर लिया तो सरकार ने उसके सेवा विस्तार को ठुकरा दिया।

खंडपीठ ने कहा कि सरकार शायद कोरोना के चलते सीमित संसाधन के चलते सेवा विस्तार पर फैसला नहीं ले पाई है। चूंकि 38 साल तक सेवा देनेवाले याचिकाकर्ता ने सेवानिवृत्ति के बाद भी 6 माह तक काम किया है। ऐसे में भले ही सरकार याचिकाकर्ता को 6 माह का आधिकारिक सेवा विस्तार न दें फिर भी वह वेतन पाने का हकदार हैं। इस तरह खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की। 

 

Created On :   11 March 2023 8:43 PM IST

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