जो बीमार ही नहीं था उसके नाम पर भी निकाला गया रेमडेसिविर

Remdesivir was also extracted in the name of the one who was not sick
जो बीमार ही नहीं था उसके नाम पर भी निकाला गया रेमडेसिविर
जो बीमार ही नहीं था उसके नाम पर भी निकाला गया रेमडेसिविर

नया खुलासा - विक्टोरिया अस्पताल में हुआ कमाल, एसटीएफ की जाँच में सामने आई करतूत
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
कोरोना संक्रमितों को लगाए जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शनों की ब्लैक मार्केटिंग के मामले में एक और खुलासा हुआ है। एसटीएफ की पड़ताल में यह बात सामने आई कि विक्टोरिया अस्पताल से एक ऐसे युवक के नाम पर भी  रेमडेसिविर इंजेक्शन आवंटित किया गया, जो कभी बीमार ही नहीं था। यह बात भी सामने आई कि छत्तीसगढ़ के एक युवक का नाम रजिस्टर में कोरोना पीडि़त के रूप दर्ज किया गया और उसके नाम से निकला इंजेक्शन ब्लैक में बेच दिया गया।  इस खेल का मास्टर माइंड मेडिकल कॉलेज में ठेके पर तैनात कम्प्यूटर ऑपरेटर है। अभी पड़ताल में इस तरह के और भी कई राज सामने आ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार एसटीएफ द्वारा विक्टोरिया अस्पताल से जब्त किए गए दस्तावेजों की जाँच में एक लाभार्थी कोरबा (छत्तीसगढ़) का भी मिला। इस पर जब उससे टीम ने बात की तो उसने बताया कि वह पूरी तरह से स्वस्थ है और कभी भी उसे रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत पड़ी ही नहीं है।  माना जा रहा है कि उसके आधार नंबर का  इस्तेमाल करके विक्टोरिया और मेडिकल से जुड़े आरोपियों ने यह खेल खेला है। 
मेडिकल कॉलेज का कम्प्यूटर ऑपरेटर रहा मास्टर माइंड
पुलिस सूत्रों के अनुसार इस पूरे खेल का मास्टर माइंड ठेका कंपनी के माध्यम से मेडिकल कॉलेज में कम्प्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत रहा अरुण उर्फ राहुल विश्वकर्मा है। उसके द्वारा ही खाली ओपीडी से सील लगी हुईं पर्चियाँ चुराकर यहाँ भर्ती मरीजों के आधार कार्ड लेकर एक अन्य कर्मी सुधीर सोनी के साथ मिलकर खाली पर्चियों में रेमडेसिविर इंजेक्शनों की डिमांड भरकर विक्टोरिया अस्पताल से डॉक्टर के फर्जी हस्ताक्षर कर रेमडेसिविर प्राप्त कर लेता था। इस आरोपी को फूटाताल बेलबाग निवासी संगीता पटेल से जानकारी मिलने के बाद हिरासत में लिया गया था। 
विक्टोरिया अस्पताल से निकाले थे आठ इंजेक्शन
 एसटीएफ ने अरुण उर्फ राहुल विश्वकर्मा के बयानों के आधार पर नीरज साहू एवं नरेन्द्र ठाकुर को रिमांड पर लिया। तब उन्होंने पूछताछ में दमोह निवासी रवि से 5-5 हजार रुपए में बीएएमएस की डिग्री बनाने की बात स्वीकार की थी। इसके अलावा विक्टोरिया अस्पताल में कार्यरत एक चिकित्सक के ड्राइवर गोरखपुर निवासी आनंद पटैल एवं संजीवनी नगर निवासी राहुल सेन के माध्यम से 8 रेमडेसिविर इंजेक्शन विक्टोरिया अस्पताल से निकाले थे। एसटीएफ द्वारा इन्हें पकडऩे पर ये सारी नयी जानकारियाँ सामने आई हैं। 
एक ही आरोपी ने निकाले थे इंजेक्शन 
जाँच में यह तथ्य सामने आया है कि विक्टोरिया के स्टोर रूम से सभी रेमडेसिविर इंजेक्शन मेडिकल कॉलेज की डिमांड पर्ची और आधार कार्ड की फोटो प्रति के आधार पर एक ही व्यक्ति अरुण उर्फ राहुल विश्वकर्मा ने ही निकाले थे। इसके बावजूद स्टोर रूम और रेमडेसिविर इंजेक्शन के आवंटन से जुड़े कर्मियों ने जाँच करना तक जरूरी नहीं समझा। एसटीएफ अप्रैल माह में आवंटित हुए रेमडेसिविर के संबंध में दस्तावेजों की जाँच कर रही है और इसलिए उसे नई जानकारियाँ भी हाथ लग रही हैं।  
 

Created On :   3 July 2021 2:09 PM IST

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