न्याय की आस : सेवानिवृत्त कैंसर पीड़ित महिला को नहीं मिल रही पेंशन

retired Veteran woman hopes for justice which is cancer patitent
न्याय की आस : सेवानिवृत्त कैंसर पीड़ित महिला को नहीं मिल रही पेंशन
न्याय की आस : सेवानिवृत्त कैंसर पीड़ित महिला को नहीं मिल रही पेंशन

डिजिटल डेस्क,सतना। एक तरफ पति की मौत का गम और दूसरी तरफ सरकारी दफ्तरों में अपना हक मांगने पर एक महिला पूरी तरह से टूट जाती है, लेकिन लक्ष्मी द्विवेदी अपने हक की लड़ाई इसी उम्मीद पर लड़ रही है कि उन्हें इंसाफ मिल जाए। यदि एक सेवानिवृत्त कैंसर पीड़ित लगभग 61 वर्षीय लक्ष्मी द्विवेदी की बताई गई दास्तान पर यकीन किया जाए तो निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग की संवेदना पूरी तरह से मर चुकी है। 

दरअसल, महिला को उपसंचालक सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण कार्यालय में अपने पति के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्त पर शासन ने बतौर लिपिक पदस्थ किया था। वह इसी साल 5 माह पहले अधिवार्षिकी उम्र पूर्ण करने पर 1 मई 2017 को सेवानिवृत्त हो गई। नियमानुसार सेवानिवृत्ति के ही दिन या उसके एक माह के अंदर उसके सभी स्वत्वों का भुगतान सम्बंधित विभाग प्रमुख की ओर से सुनिश्चित कर दिया जाना चाहिए था। लक्ष्मी द्विवेदी को अभी तक एक पाई भी नहीं मिल पाई है। न ही गुजारा भत्ता दिया जा रहा है। 

इलाज और भरण पोषण के लिए मोहताज
पति की असमय मृत्यु से टूट चुकी लक्ष्मी द्विवेदी अपने स्वत्वों का भुगतान करवाए जाने के लिए अफसरों के चक्कर लगाते-लगाते हर तरह से हताश और निराश हो चुकी है। उन्होंने बताया कि भीषण आर्थिक तंगी के कारण वह अपने कैंसर की बीमारी का इलाज तक नहीं करवा पा रही है। इसके अलावा अपनी चार बेटियों की पढ़ाई-लिखाई एवं घर-गृहस्थी के खर्चे का बोझ भी आर्थिक तंगी के कारण नहीं उठाया जा रहा है। 

सब पर भारी स्थापना प्रभारी
पीड़िता का आरोप है कि उपसंचालक सामाजिक न्याय का स्थापना प्रभारी उसकी मुसीबतों की एक मात्र जड़ है। लक्ष्मी द्विवेदी ट्रेजरी से उसके स्वत्वों को चार माह पहले स्वीकृत कर दिया गया था। जिनका भुगतान किए जाने के लिए उसंचालक सामाजिक न्याय से आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा गया था, जिसे ट्रेजरी (जिला कोषालय) भेजे जाने के लिए प्रभारी उपसंचालक डीएस सिंह द्वारा स्थापना प्रभारी को निर्देशित किया गया। महिला का आरोप यह है कि संबंधित स्थापना प्रभारी के द्वारा उसके स्वत्वों का भुगतान करवाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए जाने के लिए 5 हजार रूपए की मांग की गई थी, जिसे 1500 रूपए दे दिए गए थे। व्यवस्था न होने के कारण शेष 3500 रूपए स्वत्वों का भुगतान हो जाने के बाद देना था, मगर वह यह रकम प्राप्त होने के बाद भी ट्रेजरी में एनओसी भेजे जाने की मांग पर अडिग है। महिला ने यह जानकारी कलेक्टर को भी दी है। अनुशासन और उनसे संबंधित स्थापना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अपने स्वत्वों का जल्द भुगतान करवाए जाने का अनुरोध किया है। हालांकि महिला के आरोपों के बारे में संबंधित स्थापना प्रभारी का पक्ष जानने का प्रयास भी किया गया, मगर उससे संपर्क नहीं हो पाया।

डीएस सिंह का कहना है कि स्थापना प्रभारी के खिलाफ महिला के लगाए गए आरोपों की जानकारी हमें नहीं है। इसके अलावा उसके सिर्फ एक स्वत्व का भुगतान एनओसी के कारण लंबित है।कार्रवाई प्रक्रियाधीन है, शीघ्र ही लंबित एक मात्र स्वत्व का भी भुगतान सुनिश्चित करवा दिया जाएगा।

Created On :   7 Oct 2017 8:47 AM IST

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