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दग्विजय सिंह के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका खारिज

आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज पर लगे 24 लाख के जुर्माने को घटाकर 5 लाख करने संबंधी मामला
डिजिटल डेस्क जबलपुर । हाईकोर्ट ने वह पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है, जो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व अन्य के खिलाफ दर्ज मुकदमें को समाप्त किए जाने के खिलाफ दायर की गई थी। यह मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा आरकेडीएफ कॉलेज पर लगाए गए 24 लाख रुपए के जुर्माने को घटाकर 5 लाख रुपए किए जाने से संबंधित है। जस्टिस संजय यादव और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने कहा है कि ईओडब्ल्यू द्वारा दी गई खात्मा रिपोर्ट और उस पर निचली अदालत का आदेश एकदम सही है। ऐसे में यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
गौरतलब है कि भोपाल के पत्रकार राधा वल्लभ शारदा ने यह पुनरीक्षण याचिका दायर कहा था कि आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज में 12 छात्रों को अवैध रूप से प्रवेश देने के मामले पर 24 लाख रुपए का जुर्माना हुआ था। आरोप था कि प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह ने कॉलेज पर लगे जुर्माने की रकम 24 लाख को घटाकर 5 लाख कर दी थी। इससे शासन को साढ़े 19 लाख की क्षति हुई। इस मामले राधा वल्लभ शारदा की ओर से दायर परिवाद पर ईओडब्ल्यू को एफआईआर करने के निर्देश हुए थे। दिग्विजय सिंह व अन्य ने अभियोजन की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां से वर्ष 2016 में पूरा प्रकरण खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां से हाईकोर्ट का आदेश खारिज कर दिया गया। इसी बीच दिग्विजय सिंह व अन्य के पक्ष में ईओडब्ल्यू ने खात्मा रिपोर्ट पेश की, जिसे चुनौती देकर यह पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी। विगत 19 नवम्बर को हाईकोर्ट ने ईओडब्ल्यू को दिग्विजय सिंह के पक्ष में पेश की गई खात्मा रिपोर्ट की ताजा स्थिति पेश करने कहा था।
मामले पर आगे हुई सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू की ओर से शासकीय अधिवक्ता हरजस सिंह छाबड़ा ने ब्यौरा पेश किया। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने पाया कि खात्मा रिपोर्ट के खिलाफ एक अर्जी याचिकाकर्ता ने 18 जुलाई 2019 को निचली अदालत में पेश की थी। मामले पर याचिकाकर्ता राधा वल्लभ शारदा के बयान उसी दिन हुए। उसकी अर्जी पर 27 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान ईओडब्ल्यू ने याचिकाकर्ता के आवेदन पर जवाब पेश किया। इसी बीच याचिकाकर्ता के अधिवक्ता यावर खान ने खात्मा रिपोर्ट के खिलाफ दायर अर्जी वापस लेने की मांग की और फिर वह अर्जी अदालत ने खारिज कर दी। इसके बाद 31 जुलाई को खात्मा रिपोर्ट में दिए कारणों के मददेनजर निचली अदालत ने मुकदमा समाप्त करने के आदेश दिए। अपने विस्तृत आदेश में युगलपीठ ने कहा- च्इस मामले में याचिकाकर्ता ने इस बात का कोई भी जिक्र नहीं किया कि उन्होंने खात्मा रिपोर्ट के खिलाफ दायर अर्जी वापस लेने के निर्देश अपने वकील को दिए थे। इतना ही नहीं, 27 जुलाई को अर्जी खारिज होने के बाद भी निचली अदालत ने खात्मा रिपोर्ट पर विचार किया और मुकदमें को समाप्त करने के लिए रिपोर्ट में दिए आधारों को उपयुक्त पाते हुए विस्तृत आदेश पारित किया।ज् निचली अदालत के आदेश पर गौर करने के बाद युगलपीठ ने मामले पर हस्तक्षेप से इंकार करके पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी।
Created On :   8 Jan 2020 1:34 PM IST