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सत्र न्यायालय को दिया गया मानवाधिकार कोर्ट के रुप में कार्य करने का अधिकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि उसने हर जिले के सत्र न्यायालय को मानवाधिकार कोर्ट के रुप में कार्य करने का अधिकार दिया है। इसके साथ ही मानवाधिकार से जुड़े मामलों की पैरवी के लिए विशेष सरकारी वकील भी मनोनीत किए गए हैं। मानवाधिकार कोर्ट स्थापित किए जाने की मांग को लेकर पेशे से वकील असीम सरोदे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि सरकार ने सिर्फ कागज पर मानवाधिकार कोर्ट स्थापित किए हैं। मानवाधिकार कोर्ट को जरुरी सुविधाएं व संसाधन नहीं दिए गए हैं। जस्टिस अभय ओक व जस्टिस रियाज छागला की बेंच के सामने याचिका पर सुनवाई चल रही है।
मनोनित किए गए हैं विशेष सरकारी वकील
इस दौरान सहायक सरकारी वकील मनीष पाबले ने कहा कि सरकार ने हर जिले के सत्र न्यायालय को मानवाधिकार कोर्ट के रुप में नियुक्त किया है। इस संबंध में 31 मई 2001 को एक अधिसूचना भी जारी की गई थी। इसके साथ ही सरकारी वकील व अतिरिक्त सरकारी वकील को मानवाधिकार कोर्ट में पैरवी के लिए विशेष सरकारी वकील के रुप में मनोनीत किया गया है। सरकारी वकील की ओर से पेश की गई अधिसूचना पर गौर करने के बाद बेंच ने कहा कि सत्र न्यायालय में मानवाधिकार से जुड़े मामले की सुनवाई करने का अधिकार सत्र न्यायाधीश को होगा या फिर अतिरिक्त अथवा सहायक सत्र न्यायाधीश ऐसे मामलों की सुनवाई करेंगे? यह स्पष्ट नहीं है।
लिहाजा सरकार इस विषय में जरुरी स्पष्टीकरण जारी करे। इसके साथ ही मानवाधिकार से जुड़े विषयों की जानकारी रखनेवाले वकीलों को ही मानवाधिकार कोर्ट में पैरवी के लिए बतौर सरकारी वकील नियुक्ति किया जाए। इसके साथ ही सरकार मानवाधिकार कोर्ट को लेकर लोगों के बीच में जागरुकता फैलाए। सरकार ने इस बारे में लोगों को जागरुकता करने के लिए कौन से कदम उठाए हैं? इसकी व पूरे मामले को लेकर हलफनामा दायर करे। बेंच ने फिलहाल इस मामले की सुनवाई 22 जून तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   11 May 2018 6:17 PM IST