साइन लैंग्वेज में बधिरों ने समझा गीता सार, संत अनंत देव ने इशारों में बताया जीवन का सत्य

Saint Anant Dev describes the truth of the life in many gestures
साइन लैंग्वेज में बधिरों ने समझा गीता सार, संत अनंत देव ने इशारों में बताया जीवन का सत्य
साइन लैंग्वेज में बधिरों ने समझा गीता सार, संत अनंत देव ने इशारों में बताया जीवन का सत्य

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। कहते हैं कि अगर कोई बात कहीं पहुंचानी हो तो सिर्फ भाषा ही माध्यम नहीं होती और जब बात गीता की हो, अध्यात्म की हो और जीवन के सत्य की हो, तो संवाद कहीं पीछे छूट जाते हैं, रह जाता है बस शाश्वत सत्य। जिसे इशारों में भी व्यक्त किया जा सकता है। कुछ ऐसा ही नजारा देवताल स्थित बड़े हनुमान-काली मंदिर में रविवार को नजर आया, जहां ऐसे संत पहुंचे, जिन्होंने साइन लैंग्वेज में श्री मदभगवद्गीता और सनातन परंपरा से जुड़ी कई बातें साझा कीं। हम बात कर रहे हैं 64 वर्षीय बधिर संत श्री अनंत देव गुरु की, जिन्होंने जबलपुर बधिर संघ के वार्षिकोत्सव एवं नववर्ष अभिनंदन समारोह में मप्र के विभिन्न शहरों से आए लगभग 300 बधिरों को खास तरीके से संबोधित किया। 1-2 नहीं पूरे 3 घंटों तक उन्होंने बधिरजनों को बांधे रखा। बधिरजनों के लिए भी यह पहला मौका था, जब उन्हें अध्याम और जीवन के सार से जुड़ी बातें अपनी भाषा में जानने और समझने को मिलीं।

आज बेहतर बनाएं
संबोधन के दौरान बधिर संत ने जीवन के चार आश्रमों के बारे में बताया।किस उम्र में क्या करना हमारा धर्म है, इस बात की जानकारी दी। हम मूक-बधिर हैं, क्योंकि इसके पीछे पूर्व जन्म के कारण हैं। ईश्वर से कोई शिकायत किए बिना हमें अपना आज बेहतर बनाना है। उन्होंनेश्री मदभगवद्गीता के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी साझा किया।

9 साल किया अध्ययन, अब बधिर समाज को जोडऩे का प्रयास
बधिरजनों के लिए साइन लैंग्वेज ही उनकी भाषा है। बधिर संत श्री अनंत देव गुरु ने इसी भाषा में सब कुछ कहा। अपने बारे में उन्होंने बताया कि वे मुंबई के पहले बधिर ग्रेजुएट हैं। उन्होंने हिस्ट्री विषय में बीए किया है। वह सनातन धर्म के प्रचारक भी हैं। देश के कई हिस्सों में गए और विदेश यात्राएँ भी कीं। एक वक्त था जब जीवन में नकारात्मकता अधिक थी, फिर सोच में बदलाव हुआ। 2001 में दीक्षा लेने के बाद उन्होंने 9 वर्ष तक गीता का अध्ययन किया। इसके बाद से ही बधिर समाज को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पहले शिवभक्ति से जुड़े और बाद में कृष्णभक्ति से, उन्हें यहां ज्यादा आनंद की अनुभूति हुई।

दिल से जुड़ गए बधिरजन
इस आध्यात्मिक सेशन को लेकर बधिरजन बेहद उत्साहित नजर आए, क्योंकि उनके लिए यह अपने आप में नया अनुभव था। गुरु जी का संबोधन उनके दिलों को छू गया। जाते वक्त बधिरजनों ने भावुक होकर उन्हें विदाई दी। कार्यक्रम में बधिरजनों का उत्साहवर्धन करने महापौर डॉ. स्वाति गोडबोले, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पवन स्थापक के साथ अन्य अतिथि भी पहुँचे। महापौर डॉ. गोडबोले ने कहा कि जल्द ही शहर में बधिरों के लिए श्री मदभगवद्गीता पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। आयोजन में संघ के अध्यक्ष नर्मदानंद तिवारी, सचिव रीता तिवारी, संयोजक संजय तिवारी, जगदीश सोनी, अबरार आलम, श्याम शर्मा का सहयोग रहा।

Created On :   6 Jan 2019 10:28 PM IST

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