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समीर वानखेड़े ने की मनपा के दस्तावेजों से छेड़छाड़, स्कूल प्रमाण पत्र में धर्म मुस्लिम
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने दावा किया है कि नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे ने महानगर पालिका के दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर उसे साल 1993 में बदला है और वहां का रजिस्टर भी गायब कर दिया है। इसके अलावा मलिक ने समीर के स्कूल सर्टिफिकेट सार्वजनिक किए जिनमें उनके पिता का नाम दाऊद और धर्म मुस्लिम लिखा हुआ है। मलिक ने एक बार फिर दावा किया कि वानखेडे ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल की है। मलिक ने समीर का 27 जून 1986 का दादर स्थित सेंट पॉल हाईस्कूल का लीविंग सर्टिफिकेट जारी किया है। उस समय समीर दूसरी कक्षा में पढ़ते थे घर बदलने के चलते उनका दाखिला दूसरे स्कूल में कराया गया था। मलिक ने एक और लीविंग सर्टिफिकेट जारी किया है जो वडाला के सेंट जोसेफ स्कूल का है। इन दोनों दस्तावेजों में समीर का धर्म मुस्लिम और पिता का नाम दाऊद लिखा हुआ है।
मीडिया से बातचीत में मलिक ने कहा कि मैंने इन दस्तावेजों के साथ दूसरी जानकारियां बांबे हाईकोर्ट में दे दी हैं। मलिक ने कहा कि उन्होंने जो दस्तावेज पेश किए हैं उसे मुंबई महानगर पालिका से ही हासिल किया गया है, जिसने समीर के पुराने दस्तावेज स्कैन करके रखे हैं। उन्होंने कहा कि समीर को शायद पता नहीं था कि उनके पुराने दस्तावेज स्कैन कर रखे गए हैं। मलिक ने कहा कि समीर ने कई फर्जी दस्तावेज तैयार किए हैं। अदालत के अलावा ये दस्तावेज मैंने आला पुलिस अधिकारियों और विपक्षी दल भाजपा को भी उपलब्ध कराएं हैं और इसकी विस्तृत छानबीन की मांग की है।
फर्जी मामलों में लोगों को फंसाया
नवाब मलिक ने दावा किया है कि समीर वानखेडे को डर था कि उनकी तलाकशुदा पत्नी उनके खिलाफ सामने आ सकतीं हैं इसलिए उनके चचेरे भाई को फर्जी मामले में फंसा दिया गया। एक पेडलर के जरिए ड्रग्स रखवाई गई और राज्य सरकार की एजेंसी एएनसी के जरिए गिरफ्तारी की साजिश रची। वह लड़का अब भी जेल में है। मलिक का दावा है कि समीर ने पहली पत्नी के परिवार को धमकी दी कि अगर उनके खिलाफ सामने आए तो पूरे परिवार को ड्रग्स मामले में फंसा कर जेल में डाल देंगे और बाहर नहीं आने देंगे। मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि पड़ोस में रहने वाले एक आईपीएस अधिकारी से विवाद के बाद उसके बेटे को ड्रग्स के फर्जी मामले में फंसा दिया। लड़के ने जमानत अर्जी में दावा किया है कि उसके घर कोई रेड नहीं हुई। वानखेडे और उनके अधिकारी कंपाउंड में घूम रहे थे और घर से बुलाकर उसे फर्जी मामले में फंसा दिया गया।
बदनाम करने के लिए दी अधूरी जानकारी
समीर वानखेडे की पत्नी क्रांति रेडकर ने दावा किया कि बदनाम करने के लिए आधी अधूरी जानकारी साझा की जा रही है। रेडकर ने सोशल मीडिया के जरिए स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट और मुंबई महानगर पालिका द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र और दूसरे दस्तावेज शेयर करते हुए दावा किया है कि कुछ गलतियां हुईं थीं, जिन्हें समीर के पिता ज्ञानदेव वानखेडे ने साल 1989 में कानूनी औपचारिकताएं पूरी करते हुए सुधार लिया था। सभी दस्तावेजों को तत्कालीन और मौजूदा प्रिंसिपल ने जांच के बाद स्वीकार कर लिया गया था। रेडकर ने दसवीं पास होने के बाद का जो लीविंग सर्टिफिकेट जारी किया है उसमें समीर के पिता का नाम ज्ञानदेव और जाति महार (अनुसूचित जाति) लिखी हुई है। बीएमसी द्वारा जारी समीर के जन्म प्रमाणपत्र में भी उनके पिता का नाम ज्ञानदेव वानखेडे और मां का नाम जाहिदाबानो दर्ज है।
Created On :   18 Nov 2021 9:35 PM IST