जबलपुर समेत 4 जिलों में बनेगी रेत परिवहन कंपनियां, कैबिनेट से मंजूरी का इंतजार

Sand transport companies will be set up in 4 districts including Jabalpur
जबलपुर समेत 4 जिलों में बनेगी रेत परिवहन कंपनियां, कैबिनेट से मंजूरी का इंतजार
जबलपुर समेत 4 जिलों में बनेगी रेत परिवहन कंपनियां, कैबिनेट से मंजूरी का इंतजार

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जल्द ही जबलपुर समेत 4 जिलों में रेत परिवहन के लिए कंपनियां बनाई जाएंगी। लोकल बसों के संचालन के लिए बनाई गई भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) की तर्ज पर ये कंपनियां होगी। इन चार शहरों में भोपाल,जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर शामिल हैं।

गौरतलब है कि नगर निगम ने बसें खरीद कर अपनी शर्तों पर निजी कंपनी को सौंपी हैं, उसी तरह रेत परिवहन के लिए वाहनों का इस्तेमाल किए जाने का प्रस्ताव है। रेत स्टॉक करने के लिए चारों शहरों में डिपो बनाए जाएंगे, जहां से निर्धारित किराए पर रेत मंगाई जा सकेगी। विशेषज्ञों ने सरकार को सलाह दी है कि नदियों को संरक्षित रखना है तो 6 महीने में 1 करोड़ घन मीटर रेत का उत्खनन किया जाए। खनिज विभाग ने रेत हार्वेस्टिंग व विपणन नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। हालांकि इसके लिए तीन दिन तक सुझाव दिए जा सकते हैं। कैबिनेट की मंजूरी के बाद रेत उत्खनन व परिवहन की नई व्यवस्था राज्य में लागू कर दी जाएगी।

तेलंगाना में मॉडल लागू
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिए नई हार्वेस्टिंग एवं विपणन नीति बनाने के निर्देश दिए थे। इससे पहले सरकार ने नई नीति लागू होने तक नर्मदा नदी से रेत उत्खनन पर रोक लगा दी थी। राज्य शासन ने नई नीति का ड्राफ्ट करने से पहले 21 जुलाई को वर्कशॉप आयोजित की थी। इसमें भूगर्भ शास्त्रियों, निजी व्यवसाई, तकनीकी विशेषज्ञों और रेत कारोबार से जुड़े लोगों से सुझाव लिए गए थे। इस दौरान तेलंगाना में लागू मॉडल पर विचार विमर्श कर दोनों को मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त माना गया। दरअसल तेलंगाना में सरकार ही नदियों से रेत उत्खनन करती है और शहरों में स्टॉक कर कंपनी के माध्यम से लोगों को निर्धारित दाम पर उपलब्ध कराती है। डिपो से रेत ले जाने के लिए वाहनों का किराया भी प्रति किलोमीटर के हिसाब से तय किया गया है।सरकार की मंशा है कि रेत की हार्वेस्टिंग वैज्ञानिक पद्धति से हो। यानी उतनी ही रेत का खनन किया जाए, जिससे नदी को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। इसे ध्यान में रखते हुए ही विशेषज्ञों ने कहा है कि 6 महीने में 1 करोड़ घन मीटर से अधिक रेत का उत्खनन ना किया जाए। 

स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा
प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक रेत उत्खनन से स्थानीय लोगों को जोड़ा जाएगा। अभी तक मशीनों का इस्तेमाल कर खनन किया जा रहा था। इस पर राज्य सरकार ने पूरी तरह से रोक लगा दी है। यदि स्थानीय लोग यह काम करेंगे तो नदियों के किनारे बसे गांवों में बेरोजगारी खत्म होगी।

5 प्रतिशत महंगी मिलेगी रेत
नई नीति में प्रस्तावित किया गया है कि रेत कारोबार से जुड़े व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। रजिस्टर्ड व्यापारी ही ऑनलाइन ट्रेडिंग में हिस्सा ले पाएंगे। जो व्यापारी बुकिंग कराएंगे उन्हें डिपो से 48 घंटे में रेत उठाने की बाध्यता रहेगी। यदि इस अवधि में रेत नहीं उठाई जाती है तो 5 प्रतिशत अधिक भुगतान करना होगा। यदि बुकिंग कैंसिल की जाती है तो भी 5 प्रतिशत राशि चुकाना होगी।

वहीं खनिज विभाग क सचिव मनोहर दुबे का कहना है कि सरकार ने रेत हार्वेस्टिंग एवं विपणन नीति के लिए पब्लिक सुझाव मांगें हैं। इसके बाद पॉलिसी को फाइनल कर राज्य शासन को भेजा जाएगा। अभी यह बताना मुश्किल है कि पॉलिसी कब लागू होगी। 
 

Created On :   11 Aug 2017 2:20 AM GMT

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