एलएसजीडी ट्रेनिंग के नाम पर नगर निगम में करोड़ों का घोटाला - इंजीनियर से लेकर प्यून तक केवल इंक्रीमेंट के लिए ले रहे ट्रेनिंग

Scam worth crores in Municipal Corporation in the name of LSGD Training
एलएसजीडी ट्रेनिंग के नाम पर नगर निगम में करोड़ों का घोटाला - इंजीनियर से लेकर प्यून तक केवल इंक्रीमेंट के लिए ले रहे ट्रेनिंग
एलएसजीडी ट्रेनिंग के नाम पर नगर निगम में करोड़ों का घोटाला - इंजीनियर से लेकर प्यून तक केवल इंक्रीमेंट के लिए ले रहे ट्रेनिंग

परिवीक्षा अवधि भी नहीं बीती और कर ली ट्रेनिंग, 500 से अधिक कर्मचारी और अधिकारी ले चुके हैं प्रशिक्षण 
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
नगर निगम में इन दिनों गुपचुप तरीके से एक बड़ा घोटाला चल रहा है। यह घोटाला है एलएसजीडी यानी लोकल सेल्फ गवर्नमेंट डिप्लोमा  की ट्रेनिंग का। सामान्य तौर पर यह ट्रेनिंग लिपिक वर्ग के लिए होती है जो कि नगरीय निकाय के कार्यों को बेहतर तरीके से सीख सकें और अधिकारियों को समय-समय पर उसकी जानकारी दें सकें। ट्रेनिंग के लिए लिपिकों को निगम की ओर से अवकाश प्रदान किया जाता है और वे भोपाल जाकर उसकी पढ़ाई करते हैं और बाद में परीक्षा भी देते हैं। परीक्षा उत्तीर्ण करते ही उन्हें एक साथ दो इंक्रीमेंट प्रदान किए जाते हैं, जिनसे उनके वेतन में हजारों रुपये का इजाफा हो जाता है।
 लिपिकों तक तो ठीक था लेकिन दो इंक्रीमेंट की लालच में कई इंजीनियर्स, उपायुक्त और प्यून स्तर के कर्मचारी भी इस ट्रेनिंग को कर चुके हैं और वे इंक्रीमेंट का लाभ ले रहे हैं। नगर निगम में अब तक करीब 500 कर्मचारी और अधिकारी इस प्रशिक्षण को करने के बाद वेतन वृद्धियाँ पा रहे हैं और यदि इन सभी को मिल रहे इंक्रीमेंट के लाभ को जोड़ा जाए तो यह करोड़ों रुपयों में होता है। बताया जाता है कि नगर निगम का हर दूसरा कर्मचारी और अधिकारी एलएसजीडी ट्रेनिंग कर चुका है और वह दो इंक्रीमेंट का हकदार हो गया है। अधिकांश को इंक्रीमेंट लग चुका है और जिन्हें नहीं लगा है जल्द ही लग जाएगा। कर्मचारियों की पगार बढ़े इससे किसी को कोई परेशानी नहीं लेकिन उनकी ट्रेनिंग का लाभ भी तो मिलना चाहिए जो कि नहीं मिल पा रहा है। मूल रूप से इस ट्रेनिंग के लिए स्वास्थ्य विभाग और लिपिक वर्ग के कर्मचारी अधिकृत हैं लेकिन जब हर कोई इस ट्रेनिंग को करने लगे तो निश्चित ही इससे राजस्व की हानि ही होगी और नगर निगम में यही हो रहा है। इसके लिए उन्हें केवल एक आवेदन करना होता है और एप्रोच लगाकर अनुमति ले ली जाती है। 
विनियमित कर्मचारियों तक ने लिया लाभ
निगम की भर्राशाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह प्रशिक्षण विनियमित कर्मचारियों तक ने ले लिया है और दो वेतन वृद्धियों का लाभ लिया जा रहा है। कई तो ऐसे हैं जिनकी हालिया नियुक्तियाँ हुई हैं और वे भी एप्रोच लगाकर प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं और अब वे दो इंक्रीमेंट का लाभ ले रहे हैं। इससे निगम को भले ही कोई लाभ न मिले लेकिन इन्हें तो आजीवन लाभ मिलता रहेगा।  
क्या है एलएसजीडी 
एलएसजीडी यानी लोकल सेल्फ गवर्नमेंट डिप्लोमा के तहत नगरीय निकाय के कर्मचारियों को कार्य का प्रशिक्षण दिया जाता है। वे किस प्रकार कार्य करें। इसमें निगम के स्वास्थ्य विभाग के साथ ही फायर ब्रिगेड आदि विभागों के कर्मचारियों के लिए कोर्स भी चलाए जाते हैं। जो भी कर्मचारी इस प्रशिक्षण को प्राप्त कर लेता है उसे दो इंक्रीमेंट देने का प्रावधान है। 
हर साल डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान
 निगम के ही अधिकारियों का कहना है कि नगर निगम में अवैध तरीके से एलएसजीडी ट्रेनिंग करने वाले वैसे तो 500 के लगभग अधिकारी और कर्मचारी हैं लेकिन यदि इनकी संख्या केवल 4 सौ ही मानी जाए और प्यून स्तर के कर्मचारियों को एक से ड़ेढ हजार रुपये का इंक्रीमेंट लगा जबकि अधिकारी स्तर को 4 से 5 हजार रुपये का लाभ प्रतिमाह मिल रहा है। इस प्रकार औसत 3 हजार रुपए प्रतिमाह भी मान लिया जाए, तो 4 सौ कर्मचारियों को 3 हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से 12 लाख रुपए प्रतिमाह और 1 करोड़ 44 लाख रुपए सालाना अतिरिक्त भुगतान किया जा रहा है। यह भुगतान वर्षों से किया जा रहा है और आजीवन किया जाएगा। 
प्रदेश भर में चल रहा यह खेल
एक तरफ नगरीय निकायों में आर्थिक तंगी है और रुपए बचाने के उपाय आजमाए जा रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रतिमाह लाखों रुपए इंक्रीमेंट के नाम पर दिए जा रहे हैं। यह खेल प्रदेश भर के नगरीय निकायों में चल रहा है और कई अधिकारी केवल अनुमति देने के नाम पर ही लाखों रुपए वसूल चुके हैं। यह खेल बंद हो तो करोड़ों रुपयों की बचत की जा सकती है। 
जाँच कराई जाएगी 
एलएसजीडी की ट्रेनिंग हर कर्मचारी और अधिकारी के लिए नहीं है। यह सही बात है कि नगर निगम में बहुत से अपात्र कर्मचारियों और अधिकारियों ने भी ट्रेनिंग कर ली है और वे इंक्रीमेंट का लाभ ले रहे हैं। इस मामले की जाँच कराई जाएगी और जो भी उचित कार्रवाई होगी वह की जाएगी। 
-टीएस कुमरे, अपर आयुक्त नगर निगम

Created On :   26 Feb 2020 5:49 PM IST

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