एक में भू-खंड प्रकरण की हलचल, तो दूसरे में अवमानना को लेकर गंभीर रुख और तीसरे में ठगबाज की पैंतरेबाजी पर नाराजगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर. नागपुर सुधार प्रन्यास के चर्चित भू-खंड घोटाले पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में विचाराधीन याचिका से न्यायालय मित्र आनंद परचुरे अलग हो गए हैं। बुधवार को हाई कोर्ट ने उन्हें मुक्त करके अधिवक्ता निखिल पाध्ये को न्यायालय मित्र बनने के लिए सहमति पूछी है। एड.परचुरे तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने दिसंबर में हुए शीतकालीन अधिवेशन सत्र के ठीक पहले हाई कोर्ट में यह प्रकरण उठाया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। गौरतलब है कि नासुप्र के अधिकार में आने वाले भू-खंडों को अवैध तरीके से निजी व्यक्तियों और संस्थाओं के नाम पर निमयित करने का यह पूरा प्रकरण है। इसमें सबसे चर्चित हरपुर स्थित 16 भू-खंड है। वर्ष 2021 में तत्कालीन नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने इन भू-खंडों का मसला हाई कोर्ट में विचाराधीन रहने के बावजूद इन्हें नियमित करने का फैसला ले लिया था। मामले में काफी हंगामा होने के बाद दिसंबर 2022 में शिंदे ने इस फैसले से कदम पीछे खिंच लिए। बीती सुनवाई में नासुप्र ने हाई कोर्ट में शपथ-पत्र दिया था कि मौजा हरपुर में जो विवादित भूखंड आवंटन और नियमितीकरण हुए, उसमें नासुप्र की ओर से कोई अनियमितता नहीं की, बल्कि यह सब कुछ राज्य सरकार के आदेश और नवीन कुमार समिति की सिफारिश पर किया गया था।
माफी में देर क्यों? आवारा श्वानों के मुद्दे पर हुई सुनवाई
वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में बुधवार को आवारा श्वानों की समस्या पर केंद्रित याचिका पर सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने अवमानना की आरोपी अंकिता शाह से बिना शर्त माफी पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। दरअसल पूर्व में हाई कोर्ट की अवमानना के आरोप में मनपा उपायुक्त डॉ.गजेंद्र महल्ले और अंकिता शाह को नोटिस जारी किया गया था। 14 दिसंबर की सुनवाई में डॉ.महल्ले ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली थी, लेकिन शाह द्वारा माफी के लिए समय मांगा गया था। अब तक उनकी ओर से कोई उत्तर न आने के कारण हाई कोर्ट ने बुधवार को उन्हें अगली सुनवाई तक स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। दरअसल शाह के निवेदन पर डॉ.महल्ले ने हाई कोर्ट रजिस्ट्रार को पत्र लिख कर कोर्ट परिसर में आवारा श्वानों को खाना खिलाने के लिए जगह देने की गुजारिश की थी। इसका संज्ञान लेकर दोनों को कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया था। मामले में मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक और याचिकाकर्ता विजय तालेवार व अन्य की ओर से एड. फिरदौस मिर्जा ने पक्ष रखा।
पारसे से कैमरे पर करें पूछताछ
उधर बीते कई दिनों से पुलिस को चकमा दे रहे ठगी के आरोपी अजित पारसे पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ का हंटर पड़ा है। हाई कोर्ट ने पुलिस को पारसे से कैमरा के समक्ष पूछताछ करके उसका वीडियो बनाने का आदेश दिया है। दरअसल, जांच अधिकारी ने बुधवार को हाई कोर्ट को बताया कि पारसे से पूछताछ के लिए पुलिस अस्पताल गई थी, लेकिन पारसे ने बिलकुल सहयोग नहीं किया। उसने पुलिस द्वारा पूछे गए प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं दिया है। पुलिस के अनुसार, पारसे को कोई गंभीर बीमारी नहीं है, वह केवल पैर और पेट में दर्द होने की शिकायत कर रहा है। इस पर हाई कोर्ट जांच अधिकारी को आदेश दिया कि वो पारसे से जो भी पूछना चाहते हैं, उसकी एक प्रश्नावली तैयार करें। यह प्रश्नावली सीधे पारसे को सौंपें या फिर उसके वकील के जरिए प्रश्नावली उस तक पहुंचाएं। पारसे को 20 फरवरी के पूर्व पुलिस के सवालों के जवाब देने हैं। इनकी एक प्रति हाई कोर्ट में भी जमा करने का आदेश दिया गया है।
बीती सुनवाई में हाई कोर्ट ने पारसे के चिकित्सकों से उसकी स्वास्थ्य की जानकारी मंगाई थी। चिकित्सकों ने हाई कोर्ट को बताया है कि पारसे को पेट की कुछ मामूली समस्याएं हैं। जिनके लिए 3 दिन से अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की जरुरत नहीं है। बीती सुनवाई में सरकारी वकील ने पारसे पर बीमारी का बहाना बना कर पुलिस को चकमा देने का आरोप लगाया था, जिसके बाद हाई कोर्ट ने पुलिस को अस्पताल जा कर पारसे से पूछताछ की अनुमति दी थी। गौरतलब है कि पारसे पर चिकित्सा महाविद्यालय शुरू करने की अनुमति देने का लालच देकर शहर के एक चिकित्सक से 4 करोड़ 36 लाख रुपए की ठगी का आरोप है। पुलिस का दावा है कि इसके अलावा भी पारसे ने कई लोगों को अपन ठगी का शिकार बनाया है।
Created On :   9 Feb 2023 5:23 PM IST