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शहडोल के युवा वैज्ञानिक डॉ. मनीष गर्ग ने बनाया शक्तिशाली माइक्रोस्कोप
जर्मन वैज्ञानिक प्रो. क्लॉस केर्न के साथ मिलकर किया शोध , साइंस मैगजीन में प्रकाशित हुआ शोध
डिजिटल डेस्क शहडोल । प्रकाश तरंगों के माध्यम से इलेक्ट्रॉन को नियंत्रित करने की दिशा में भारतीय वैज्ञानिक डॉ. मनीष गर्ग और जर्मन वैज्ञानिक प्रो. क्लॉस केर्न ने बड़ी सफलता हासिल की है। दोनों ने मिलकर एक ऐसा माइक्रोस्कोप तैयार किया है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के छोटे-छोटे पाट्र्स के अंदर तथा अणु-परमाणु के भीतर चल रही जटिल प्रक्रियाओं को देख पाना संभव हो गया है। इस खोज से क्वांटम स्तर पर घटित होने वाली घटनाओं का एचडी क्वालिटी का वीडियो बनाना आसान हो गया है। दुनिया के लिए इतना बड़ा अविष्कार करने वाले मनीष गर्ग मध्य प्रदेश के छोटे से शहर शहडोल के रहने वाले हैं। वे वर्तमान में जर्मनी के स्टुटगार्ट स्थित मैक्स प्लांक सॉलिड स्टेट अनुसंधान संस्थान में बतौर वरिष्ठ वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। मनीष की यह सफलता एक भारतीय युवा वैज्ञानिक के रूप में उल्लेखनीय है, वहीं अन्य भारतीय छात्रों के लिए प्रेरणा भी है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह माइक्रोस्कोप क्वांटम जगत का एक एचडी कैमरा भी है। दोनों वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नई माइक्रोस्कोपिक तकनीक से परमाणु के अन्दर गतिमान अत्यंत तीव्र्रगामी कण इलेक्ट्रॉन की गति के विषय में अभी तक रहस्यपूर्ण बनी हुई जानकारियों को जुटाने में सफलता मिलने की उम्मीद जगी है।
घर में रहकर की थी 11वीं-12वीं की पढ़ाई
शहडोल जिले के ब्यौहारी स्थित बराछ के रहने वाले मनीष के पिता विद्याधर गर्ग कॉलरी कर्मचारी हैं। उन्होंने बताया कि मनीष ने दसवीं तक की पढ़ाई अनूपपुर जिले के बिजुरी से की। स्कूल आने-जाने में उसका समय बर्बाद होता था, इसलिए मनीष ने स्कूल जाना छोड़ दिया। घर में रहकर ही 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की। इसके बाद घर में ही तैयारी करके आईआईटी की परीक्षा पास की। उनकी इस लगन को देखते हुए इंटेल कंपनी ने उनको अपना ब्रॉन्ड एम्बेसडर बनाया था। कोलकाता से आईआईटी करने के बाद मनीष ने जर्मनी (म्यूनिख) में पीएचडी की और जर्मनी में ही स्टुटगार्ट स्थित मैक्स प्लांक सॉलिड स्टेट अनुसंधान संस्थान ज्वाइन कर लिया।
इस महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज को विश्व की सबसे प्रतिष्ठित एवं सम्मानित वैज्ञानिक जर्नल साइंस के 24 जनवरी के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। डॉ. मनीष गर्ग तथा प्रोफेसर क्लास कैर्न ने इलेक्ट्रॉनों की गति का पता लगाने के लिए माइक्रोस्कोप की दृश्य क्षमता तथा अल्ट्राफास्ट स्ट्रोबोस्कोप के इलेक्ट्रोन की गति को नापने की क्षमता की दो अलग-अलग तकनीकों को मिलाकर इनकी खामियों को दूर किया है। दोनों ने अपने प्रयोगों से पहली बार यह साबित करके दिखाया है कि प्रकाश किरणों के माध्यम से किसी ठोस पदार्थ की विद्युत संचालकता को न सिर्फ मापा जा सकता है बल्कि उसे नियंत्रित भी किया जा सकता है।
Created On :   29 Jan 2020 3:10 PM IST