शरद पवार ने कहा - खत्म की जाए राजद्रोह की धारा, भीमा-कोरेगांव जांच आयोग के सामने दायर हलफनामा 

Sharad Pawar said - Section of sedition should be abolished, affidavit filed
शरद पवार ने कहा - खत्म की जाए राजद्रोह की धारा, भीमा-कोरेगांव जांच आयोग के सामने दायर हलफनामा 
बड़ा बयान शरद पवार ने कहा - खत्म की जाए राजद्रोह की धारा, भीमा-कोरेगांव जांच आयोग के सामने दायर हलफनामा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भीमा-कोरेगांव हिंसा की जांच के लिए गठित आयोग के सामने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि भारतीय दंड संहिता की राजद्रोह से जुड़ी धारा को या तो हटा देना चाहिए या फिर इससे दुरुपयोग को रोकना चाहिए। हलफनामे में श्री पवार ने कहा है कि जनवरी 2018 में हुई भीमा-कोरेगांव की हिंसा के विषय में उनका किसी राजनीतिक एजेंडो को लेकर आरोप नहीं है लेकिन आईपीसी में किया गया राजद्रोह का प्रावधान खत्म होना चाहिए। 

पवार ने भीमा-कोरेगांव जांच आयोग के सामने यह अतिरिक्त हलफनामा 11 अप्रैल 2022 को दायर किया था। जो गुरुवार को सार्वजनिक हुआ है। इससे पहले राकांपा प्रमुख ने 8 अक्टूबर 2018 को हलफनामा दायर किया था। आयोग ने इस मामले को लेकर पवार को समन जारी किया है और उन्हें पांच व 6 मई को आयोग के सामने सबूत के तौर पर अपना बयान दर्ज कराने को कहा है। हलफनामे में पवार ने कहा है कि उन्हें भीमा-कोरेगांव हिंसा व उसके घटनाक्रम को लेकर कोई निजी जानकारी व सूचना नहीं थी। मैं इस दुर्भाग्यपूर्ण हिंसा से जुड़े उद्देश्य को लेकर किसी राजनीतिक एजेंडा पर कोई आरोप भी नहीं लगाना चाहता हूं।

हलफनामे में पवार ने कहा है कि कानून व्यवस्था में सुधार होना चाहिए। क्योंकि देश का कानून स्थिर न होकर गतिशील है। इसलिए बदलाव जरुरी है। उन्होंने कहा कि धारा 124ए (राजद्रोह) का दुरुपयोग रुकना चाहिए। इसके लिए इसमें संशोधन किया जाए या फिर इसे हटा दिया जाए। क्योंकि आईपीसी व अवैध गतिविधि प्रतिबंधक कानून (यूएपीए) में देश की अखंडता को सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं। उन्होंने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में भी जरुरी संसोधन होने चाहिए। ताकि पुलिस कडाई से सार्वजनिक शांति भंग होने से जुड़े मामलों से निपट सके।  

पवार ने हलफनामे में कहा है कि सार्वजनिक शांति व कानून व्यवस्था को भंग करनेवालों को कड़ा दंड मिलना चाहिए। उन्होंने हलफनामे में कहा है कि सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार के पोस्ट बढने के चलते सोशल व डिजीटल मीडिया पर भी निगरानी जरुरी है। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भी बदलाव की जरुरत है क्योंकि यह दो दशक पहले बनाया गया था। इससे पहले भी आयोग ने पवार को समन जारी किया था लेकिन कोरोना के चलते घोषित लॉकडाउन के चलते पवार आयोग के सामने हाजिर नहीं हो पाए थे। 

Created On :   28 April 2022 8:15 PM IST

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