शिंदे ने पूरा किया रिक्शा चालक से मुख्यमंत्री तक का सफर, नगरसेवक से सीएम तक पहुंचे

Shinde completes the journey from rickshaw driver to CM, from corporator to CM
शिंदे ने पूरा किया रिक्शा चालक से मुख्यमंत्री तक का सफर, नगरसेवक से सीएम तक पहुंचे
सियासी सफर शिंदे ने पूरा किया रिक्शा चालक से मुख्यमंत्री तक का सफर, नगरसेवक से सीएम तक पहुंचे

डिजिटल डेस्क, मुंबई। उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली महाविकास आघाडी सरकार से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे ने एक सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। लेकिन धीरे-धीरे वे दिवंगत बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे के बेहद करीबी लोगों में शामिल हो गए। राजनीति में आने से पहले शिंदे जीवनयापन के लिए ठाणे में आटोरिक्शा चलाते थे। कभी ठाणे में शिवसेना के क्षत्रप रहे दिघे के निधन के बाद इस जिले में शिवसेना की कमान शिंदे के हाथ आ गई और उन्होंने ठाणे में शिवसेना को कमजोर नहीं होने दिया और मुंबई के करीब स्थित इस महानगर पालिका के साथ कल्याण डोंबिवली,उल्हासनगर जैसे ज्यादातर इलाकों में भगवा लहराता रहा। अपनी काबिलियत के बल पर वे उद्धव ठाकरे के करीबियों में भी शामिल हो गए। महाविकास आघाडी सरकार के गठन की कवायद शुरू हुई तो सुभाष देसाई और शिंदे मुख्यमंत्री पद के सबसे तगड़े दावेदारों में थे लेकिन पवार के आग्रह पर उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री का पद स्वीकार कर लिया और शिंदे को नगरविकास मंत्री पद से संतोष करना पड़ा। 

मुश्किल भरा था बचपन

ठाणे को अपना राजनीति का अखाड़ा बनाने वाले शिंदे 9फरवरी 1964 को सातारा जिले के एक गांवे दरे के एक किसान परिवार में पैदा हुए थे। लेकिन आर्थिक चुनौतियों के चलते परिवार को रोजी रोटी की तलाश में ठाणे आना पड़ा। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते ग्यारहवीं के बाद शिंदे को पढ़ाई छोड़नी पड़ी। शुरुआत में उन्होंने एक मछली की कंपनी में सुपरवाइजर के तौर पर काम किया। थोड़े समय बाद उन्होंने ठाणे में ऑटोरिक्शा चलानी शुरू कर दी। 

1997 में नगरसेवक, 2022 में सीएम

18 साल की उम्र में दिघे की अगुआई में शिंदे शिवसेना में शामिल हुए। लगातार पार्टी के लिए निष्ठा से काम करने के चलते उन्हें पहली जिम्मेदारी मिली और ठाणे के किशननगर का शिवसेना शाखा प्रमुख बनाया गया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1997 में वे नगरसेवक चुने गए। साल 2004 के विधानसभा चुनाव में शिंदे ने ठाणे सीट से पहली बार विधायक बने। बाद में 2009, 2014 व 2019 के विधानसभा चुनाव वें ठाणे की कोपरी-पांचपाखाडी सीट से विधायक चुने गए। शिंदे ठाणे के शिवसेना जिला प्रमुख भी रहे। साल 2014 में भाजपा-शिवसेना की युति टूटी और दोनों पार्टियों ने अलग चुनाव लड़ा फिर भी शिंदे ने ठाणे का गढ़ बचाए रखा।

फिलहाल एम.ए. की पढ़ाई कर रहे शिंदे

खराब आर्थिक परिस्थितियों के कारण शिंदे 11वीं के बाद आगे की पढाई नहीं कर सके थे। लेकिनजीवन में स्थिरता आने के बाद शिंदे ने अपनी अधूरी पढ़ाई पूरी करने की सोची। उन्होंने यशवंतराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय में आगे के पाठ्यक्रमों के लिए दाखिला लिया। हाल ही में उन्होंने मराठी और राजनीति शास्त्र से बीए की परीक्षा 77.25 प्रतिशत अंकों से पास की है। फिलहाल शिंदे एमए की पढ़ाई कर रहे हैं।

जब शिंदे परिवार पर टूटा था मुसीबतों का पहाड़

एकनाथ शिंदे का विवाह लता शिंदे से हुआ है। दंपति के तीन बच्चे दीपेश, शुभदा और श्रीकांत थे लेकिन साल 2000 में परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूटा और दीपेश और शुभदा की हादसे में मौत हो गई। बेटे श्रीकांत ने मेडिकल की पढ़ाई की और बाद में राजनीति के मैदान में उतरे। फिलहाल वे सांसद हैं।

शिंदे के गांव को वालों को थी उनके सीएम बनने की उम्मीद

एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाए जाने का फैसला भले ही पूरे देश के लिए चौकाने वाला हो पर उनके गृह ग्राम सागंली जिले के दरे के लोगों को उम्मीद थी कि उनका सुपुत्र महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनेगा। सातारा जिला मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव से शिंदे के जुड़ाव बना हुआ है। शिंदे को कोरोना होने पर वे 10 दिनों तक अपने गांव में आकर ठहरे थे। शिंदे की बगावत के बाद से उनके गांव वालों को लग रहा था कि एकनाथ मुख्यमंत्री बन कर जल्द ही अपने गांव आएंगे। हाल ही में शिंदे परिवार गांव में खेती लायक कुछ जमीने भी खरीदी है।

 
 

Created On :   30 Jun 2022 8:26 PM IST

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