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सरकार को झटका : CBI पुलिस महकमे में तबादले- तैनाती के अलावा वाझे की सेवा बहाली की जांच कर सकती है
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है सीबीआई पुलिसकर्मियों के तबादले और तैनाती से जुड़े मामले तथा आरोपी सचिन वाझे की सेवा बहाली से जुड़े पहलू की वहां तक जांच कर सकती है, जहां तक इस प्रकरण का राज्य के पूर्व गृहमंत्री राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अनिल देशमुख व उनके सहयोगियों का गठजोड़ नजर आता है। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी है कि वह कानून लागू करें। क्योंकि वह किसी और का नहीं बल्कि कानून का सेवक हैं। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई प्रतिष्ठित और जिम्मेदार जांच एजेंसी है। इसलिए वह कानून के अनुरुप इस मामले की जांच को सुनिश्चित करें। खंडपीठ ने यह बात राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कही।
याचिका में राज्य सरकार ने मांग की थी कि देशमुख मामले को लेकर सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से दो पैराग्राफ हटाने का निर्देश दिया जाए। इसमें एक पैराग्राफ एंटीलिया मामले में आरोपी वाझे द्वारा पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों से संबंधित था, जबकि दूसरा पैराग्राफ राज्य के पुलिस विभाग में पुलिसकर्मियों के तबादले व तैनाती में भ्रष्टाचार के आरोप से जुड़ा था।
मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद दिए गए फैसले में खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई वैधानिक रुप से पुलिसकर्मियों के तबादले व तैनाती से जुड़े पहलू की जांच कर सकती है। इस दौरान खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि पुलिस आयुक्त किसी और का सेवक न होकर कानून का सेवक हैं। लिहाजा आयुक्त को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे अपराध पर लगाम लगाई जा सके और ईमानदार व्यक्ति अपने काम पर जा सकें।
गौरतलब है कि जब देशमुख राज्य के गृहमंत्री थे। उस समय आईपीएस अधिकारी मुंबई पुलिस के आयुक्त थे। इसी दौरान वाझे की सेवा बहाली हुई थी। सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इसके साथ ही हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने जांच के बाद देशमुख के खिलाफ 21 अप्रैल 2021 को एफआईआर दर्ज की थी।
इस फैसले के बाद राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रफीक दारा ने खंडपीठ से आग्रह किया कि वे अपने फैसले पर दो सप्ताह तक के लिए रोक लगाए। ताकि सरकार आगे कदम उठा सके। सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका विरोध किया। इसके बाद खंडपीठ ने अपने फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
Created On :   22 July 2021 7:21 PM IST