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हाईकोर्ट से मोखा और देवेश चौरसिया को झटका, एनएसए के खिलाफ याचिका खारिज
डिजिटल डेस्क जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट से नकली रेमडेसिविर मामले में सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा और देवेश चौरसिया को जबरदस्त झटका लगा है। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस अनिल वर्मा की डिवीजन बैंच ने मोखा और देवेश चौरसिया के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। डिवीजन बैंच ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान नकली रेमडेसिविर लगाना घृणित कार्य है। ऐसे मामले में राहत की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
यह है मामला-
ओमती पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में 10 मई 2021 को सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा और अस्पताल के कर्मचारी देवेश चौरसिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। कलेक्टर ने 11 मई 2021 को मोखा और देवेश चौरसिया के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की थी, 5 जुलाई 2021 को एनएसए की अवधि बढ़ा दी गई थी। एनएसए की कार्रवाई के खिलाफ याचिकाकर्ताओं को अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का भी अवसर दिया गया था। 29 जून 2021 को एडवाइजरी बोर्ड ने एनएसए के आदेश की पुष्टि कर दी थी।
बिना आधार के की गई कार्रवाई
वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता पंकज दुबे ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई बिना किसी ठोस आधार के की गई है। ऐसे में उनके खिलाफ की गई एनएसए की कार्रवाई को निरस्त किया जाए। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक दलाल और अधिवक्ता पलक जोशी ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं पर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने का आरोप है। जबलपुर कलेक्टर ने सबूतों, गवाहों के बयानों और पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन के आधार पर याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की है। इस मामले में न्यायालय में चालान भी पेश किया जा चुका है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने एनएसए की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
Created On :   25 Aug 2021 10:28 PM IST