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सिंहपुर गोलीकांड - फरार सब इंस्पेक्टर और आरक्षक की गिरफ्तारी पर अब 20 हजार का इनाम

एसपी के प्रस्ताव को डीआईजी ने किया मंजूर
डिजिटल डेस्क सतना। गैर इरादतन हत्या के आरोप में फरार चल रहे सिंहपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी विक्रम पाठक और आरक्षक आशीष सिंह पर इनाम की राशि 5 हजार से बढ़ाकर 20 हजार करने के लिए पुलिस कप्तान धर्मवीर सिंह के द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को रीवा रेंज के डीआईजी अनिल सिंह कुशवाह ने 24 घंटे के भीतर ही मंजूरी दे दी,जिससे अब दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी में मदद करने अथवा पुख्ता सूचना देने वाले को इनाम के 20 हजार रुपए प्रदान किए जाएंगे। यदि पुलिस की टीम अपने प्रयासों से आरोपी पुलिस कर्मियों को पकड़ती है तो टीम को पुरस्कृत किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि दोनों आरोपी 68 दिनों से फरार चल रहे हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए नागौद एसडीओपी की अगुवाई में 12 सदस्यीय टीम बनाई गई है। इस टीम की दो अलग-अलग टीमें दो बार बिहार और उत्तर प्रदेश में उनके ठिकानों पर दबिश देकर खाली हाथ लौट चुकी हैं।
हाईकोर्ट में 8 को जमानत याचिका पर है सुनवाई
घटना के बाद से ही फरार चल रहे निलंबित थानेदार और आरक्षक ने नागौद कोर्ट से अग्रिम जमानत का याचिका खारिज होने के बाद जबलपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था,जहां पहले 1 दिसंबर की तारीख दी गई थी,मगर किसी वजह से सुनवाई नहीं हो पाई और कोर्ट ने 8 दिसंबर का दिन याचिका सुनने के लिए नियत कर दिया। आरोपी पुलिस कर्मियों को पुलिस के आवेदन पर न्यायालय ने फरार घोषित कर रखा है,तो उनके सागर, सतना, उत्तरप्रदेश और बिहार के उपलब्ध ठिकानों पर हाजिर होने की नोटिस चस्पा की जा चुकी है। इसके बावजूद दोनों सामने नहीं आ रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि चोरी के एक मामले में 27 सितंबर को पूछताछ के लिए थाने लाए गए नारायणपुर निवासी राजपति कुशवाहा 45 वर्ष
को सिंहपुर थाने के माल खाने में तबके थाना इंचार्ज विक्रम पाठक की सर्विस रिवाल्वर से चली गोली सिर पर लगी थी,जिसकी उपचार के दौरान रीवा मेडिकल कालेज में मौत हो गई थी। तब भारी हंगामे के बाद सब इंस्पेक्टर विक्रम और आरक्षक आशीष के विरुद्ध सिंहपुर थाने में ही आईपीसी की दफा 304, 348 और 34 के तहत गैर इरादतन हत्या अपराध दर्ज किया गया था। दोनों को निलंबित कर पुलिस लाइन अटैच किया गया था,मगर आमद देने के बाद से ही वे गायब हो गए थे। इस घटना में न्यायिक जांच के अलावा आईजी ने सिरमौर एसडीओपी पीएस परस्ते के नेतृत्व में एसआईटी भी बनाई थी। फरार आरोपियों में से आरक्षक आशीष सिंह लूट का भी आरोपी है। इसके विरुद्ध दिसंबर 2019 में आईपीसी की धारा-392 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट नागौद की कोर्ट में अपराध दर्ज किया गया था।
Created On :   7 Dec 2020 5:44 PM IST