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सीतारमण ने कहा - 2047 तक भारत का विकसित होना निश्चित
डिजिटल डेस्क, मुंबई। हिंदी को बढ़ावा मिलना चाहिए। आज भारत का जनमानस स्व के प्रति जागरूक है। स्वतंत्रता के बाद कुछ विषयों में स्व जाग्रत हुआ लेकिन बहुत से क्षेत्रों में नहीं हुआ। दस साल पहले हम 11वें स्थान पर थे। तब भी ब्रिटेन 5वें स्थान पर था। वर्ष 1700 में वैश्विक उत्पादन में हमारा हिस्सा 23.5 प्रतिशत था जबकि आजादी के समय यह मात्र 3 प्रतिशत रह गया। स्वतंत्रता के बाद सबके विकास की धारणा रहती तो हम इस स्थान पर एकाध दशक पहले पहुंच जाते। आज भारत पूरी दुनिया को 62 प्रतिशत वैक्सीन निर्यात कर रहा है। 2047 तक हम विकसित राष्ट्र का सपना देख रहे हैं। सबके प्रयास से यह संभव होगा। महानगर में आयोजित कार्यक्रम में यह बात केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कही।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हिंदी विवेक द्वारा प्रकाशित "स्व 75" ग्रंथ के विमोचन के अवसर पर कहीं। कहा कि विदेश से आयातित समाजवाद ने देश को काफी नुकसान पहुंचाया है। कुछ लोग कहते हैं कि अंग्रेजों ने हमारा स्व जाग्रत किया जबकि वह पहले से जाग्रत था। हमें हमारी संस्कृति अर्थ के प्रति जागरूक रखती रही है। 1991 में जब उदारीकरण शुरू हुआ उस समय भी नियंताओं के मन में स्व का भाव नहीं था पर अटल जी की सरकार में अर्थ को व्यापकता मिली। उनके बाद दस सालों में मामला फिर ठप हो गया। इकोनामी को बर्बाद कर दिया। 2014 के बाद हमारे प्रधानमंत्री ने उसे दुरुस्त करने के तमाम उपाय किए। उनके खिलाफ अफवाहों का बाजार बनाया गया लेकिन वे जनता की भलाई से पीछे नहीं हटे।
वित्त मंत्री ने यूपीएल के चेयरमैन रज्जूभाई श्राफ, कारुलकर प्रतिष्ठान के प्रशांत और शीतल कारुलकर, एसएफसी के चेयरमैन संदीप आसोलकर, उद्योगपति घनश्याम गोयल, समाज सेवक अजीत मन्याल और वरिष्ठ अधिवक्ता अमीत मेहता का स्मृति चिह्न, देकर सम्मानित किया। समारोह का सूत्र संचालन पल्लवी अनवेकर ने किया।
Created On :   16 Sept 2022 9:23 PM IST