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रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी में सिर्फ चुनिंदा गेस्ट टीचर्स को मिल रहा वेतन

डिजिटल डेस्क जबलपुर । रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में अतिथि विद्वानों की पगार में भी एप्रोच चलती है। जिनकी नियुक्ति किसी खास के कहने पर की गई है उसे एक तो पीरियड ज्यादा दिए जाते हैं और समय पर वेतन भी मिल जाता है, जिनकी नियुक्ति योग्यता के आधार पर की गई है उनका कोई धनी धोरी नहीं है वे जब भी पगार मांगने जाते हैं उन्हें आगे जाओ बाबा की तर्ज पर टरका दया जाता है। विवि के इस रवैये से अतिथि शिक्षकों में भारी आक्रोश है और किसी भी दिन वे अपना आक्रोश जाहिर कर सकते हैं।
रादुविवि में सवा सौ से अधिक अतिथि शिक्षक हैं और लगभग सभी विभागों में पढ़ाई का कार्य अब इन्हीं के कांधों पर है। नियमानुसार जिस प्रकार यहां के कर्मचारियों और प्राध्यापकों की पगार समय पर हो जाती है उसी प्रकार इन्हें भी हर माह की 10 तारीख को वेतन देने का नियम रजिस्ट्रार डॉ. बी भारती ने बनाया था पर नियम बनने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। एमबीए के अतिथि शिक्षकों को वेतन तो पिछले सत्र के मार्च माह से नहीं हुआ है जबकि कुछ विभागों में 2 से 3 माह से पगार नहीं दी गई है। इसमें भी एक चौंकाने वाली बात यह है कि जिन भी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर यानी बिना किसी एप्रोच के हुई है वे ही सबसे अधिक प्रताडि़त हैं। वे बेचारे हमेशा चक्कर काटते रहते हैं पर कोई जवाब तक नहीं देता, वहीं जिनकी नियुक्ति किसी आका के कहने पर की गई है या जो विवि से जुड़े किसी वरिष्ठ के पसंदीदा हैं तो उनकी पगार समय पर हो जाती है, बल्कि उन्हें बता भी दिया जाता है कि इस दिन पगार खाते में आ जाएगी।
हर मामले में होती है मदद
बताया जाता है कि एप्रोच वालों को अधिक पीरियड भी दिए जाते हैं, ताकि उनकी पगार अधिक बने जबकि योग्यता वालों को एक दिन में एक पीरियड मिल जाए यही बहुत होता है। इसके वावजूद भी इस बात का कोई ठीक-ठाक हिसाब भी नहीं रखा जाता है कि रजिस्टर में जो दर्ज हुआ है उसका कोई सुबूत भी है कि नहीं। परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाते हैं पर क्लास रूम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है यदि ऐसा हो जाए जो शिक्षकों की मनमानी पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
न समय पर आना और न पढ़ाना
बताया जाता है कि विवि के अधिकांश विभागों में नियुक्त वरिष्ठ प्राध्यापक आधे समय तो प्रशासनिक भवन में ही व्यस्त रहते हैं और बचे हुए समय में यदि उन्होंने कोई क्लास ले ली यही बहुत है। यही कारण है कि पढ़ाई का लगभग पूरा जिम्मा अतिथि शिक्षकों पर ही आ गया है, लेकिन उनके साथ इस तरह का व्यवहार हो रहा है कि वे भी परेशान हो चुके हैं।
Created On :   29 Nov 2017 1:39 PM IST